गणेश उत्सव के चलते सार्थक हो गया ” मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना”
फर्रुखाबाद: मोसिन ए इंसानियत हजरत मोहम्मद साहब की यौमे पैदाइश की 1500 वीं वर्षगांठ के मौके पर रवायती अंदाज में काज़ीजी मस्जिद टाउन हाल (Qaziji Mosque Town Hall) से जुलूस ए मोहम्मदी (Jaloos-e-Mohammadi) निकाला गया। टाउन हॉल से लेकर घुमना तक मुख्य मार्ग पर भव्य सजावट के अलावा चारों खलीफाओं के नाम पर स्वागत द्वार भी बनाए गए। मुख्य मार्गो को रंगीन लाइटों से भी सजाया गया, जुलूस की मरकजी गाड़ी से ये रहमत ए आलम का एजाज ए कर्म कहिए हर कौम यह कहती है सरकार हमारे है नातिया कलाम के दौरान साथ चल रहे युवा अल्लाह हो अकबर की सदाए बुलंद करते हुए चल रहे थे।
टाउन हॉल स्थित मस्जिद जान अली खा काजी साहब वाली मस्जिद से बाद नमाजे मगरिब सीरत कमेटी की जानिब से निकलने वाला जुलूस ए मोहम्मदी अपने रिवायती अंदाज़ में शुरू हुआ। जुलूस के आगे हरे झंडे के साथ हज़ारों की संख्या में लोग जुलूस में शामिल हुए।
जुलूस तिकोना चौकी, पक्का पुल चौराहा, किराना बाजार, चौक चौराहा, नेहरू रोड होते हुए घुमना बाजार होते हुए मदरसा अंजुमन शमशुल उलूम में जुलूस पहुंच कर जलसे में तब्दील हुआ। पक्का पुल चौराहा पर मौलाना सैयद सदाकत हुसैन सैथली व चौक चौराहे पर मौलाना शमशाद अहमद चतुर्वेदी व हाजी कारी मौलाना मुख्तार आलम कादरी व घुमना बाजार पर मौलाना कारी लईक अहमद ने अपनी अपनी तकरीर से एकीकतमंदो को संबोधित किया।
तकरीर में आलिमों ने कहा कि यह उनकी विलादत का जुलूस है जो सारी दुनिया के लिए रहमत बनकर आया है। जगह-जगह रास्तों पर पानी और शरबत की सबीलो का इंतजाम किया गया। जुलूस को देखने के लिए छतों पर काफी संख्या में भीड़ उमड़ी। अंजुमन स्कूल पहुंचने पर जुलूस ए मोहम्मदी के समापन होने के बाद एक जलसे का आयोजन हुआ जलसे में कानपुरसे आए हुए मौलाना मुफ्ती हनीफ बरकाती कानपुरी ने अपनी तकरीर से संबोधित किया गुरसहायगंज से आए हुए शायर मौलाना इस्माइल रागिब ने अपना कलाम प्रस्तुत किया और जलसे का संचालन हाफिज अब्दुल बासित जलालाबादी ने किया।
मदरसा अंजुमन शमशुल उलूम में में भीड़ उमड़ पड़ी। जलसे में सीरत कमेटी के सचिव गुलज़ार अहमद खा व सीरत कमेटी के सदर काजी सैयद मुताहिर अली की सरपरस्ती में निकाला गया। जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था के कड़ा इंतजाम रहा। गणेश उत्सव की आरती के स्वर और गुरु से मोहम्मदी में घूमने वाले नारों ने फर्रुखाबाद की गंगा जमुना संस्कृति को एक बार फिर से जीवन कर दिया दोनों ही समूहों के लोगों ने एक दूसरे को उनके उत्सव के लिए बधाइयां दीं।