अयोध्या।
भारत और भूटान की दोस्ती आज एक नए अध्याय में दर्ज हुई। भूटान के प्रधानमंत्री दशो शेरिंग टोबगे (Dasho Tshering Tobgay) का अयोध्या एयरपोर्ट पर उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप सिंह शाही ने भारतीय परंपरा और रीति-रिवाज़ों के साथ भव्य स्वागत किया।
एयरपोर्ट पर लाल कालीन, पुष्प वर्षा और पारंपरिक वाद्ययंत्रों की गूंज से माहौल पूरी तरह सांस्कृतिक हो गया। प्रधानमंत्री के साथ उनकी पत्नी औम ताशी डोमा (Aum Tashi Doma), वित्त सचिव दशो लेकी वांगमो और अन्य तीन अधिकारी मौजूद रहे।
भूटान के प्रधानमंत्री सीधे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने रामलला का दर्शन किया।
राम दरबार, कुबेर तिला और कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना हुई।
जलाभिषेक और वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच करीब दो घंटे तक पूजा-पाठ चला।
दर्शन के दौरान स्थानीय श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा का भी पूरा ध्यान रखा गया।
यह यात्रा सिर्फ एक धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं रही, बल्कि भारत-भूटान रिश्तों की गहराई को और मजबूत करती नजर आई।
अयोध्या की पावन भूमि पर भूटान के प्रधानमंत्री का स्वागत, भारतीय ‘अतिथि देवो भवः’ की परंपरा को जीवंत कर गया।
सूर्य प्रताप शाही ने कहा— “भूटान और भारत सिर्फ पड़ोसी नहीं, बल्कि साझा संस्कृति और आध्यात्मिक विरासत से जुड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री टोबगे का अयोध्या आगमन हम सबके लिए गौरव का क्षण है।”
यह दौरा केवल कूटनीतिक संबंधों की मजबूती नहीं, बल्कि दुनिया को यह संदेश है कि भारत की सांस्कृतिक शक्ति और आध्यात्मिक धरोहर हर देश और हर व्यक्ति को अपनेपन का अहसास कराती है। रामलला का दर्शन कर भूटान नरेश ने दिखाया कि धर्म और संस्कृति ही असली पुल हैं, जो देशों और समाजों को जोड़ते हैं।
अयोध्या एयरपोर्ट से लेकर रामलला के दरबार तक, हर कदम पर भारतीय संस्कृति का रंग साफ दिखा। यह स्वागत सिर्फ राजनयिक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक ऐसा पल था जिसने अंतरराष्ट्रीय रिश्तों को आध्यात्मिक स्पर्श दे दिया।

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