तियानजिन/ नई दिल्ली| चीन के तियानजिन शहर में चल रहे शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन 2025 में सोमवार को कई अहम संदेश सामने आए। उद्घाटन सत्र में जहां चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका के आधिपत्यवाद पर कड़ा वार किया, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए सभी देशों से एकजुट होकर इसका मुकाबला करने की अपील की।
इस बीच, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने संबोधन में भारत और चीन की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि यूक्रेन संकट को सुलझाने में भारत और चीन ने अहम योगदान दिया है। पुतिन ने अमेरिका और पश्चिमी सहयोगियों पर हमला बोलते हुए कहा कि यूक्रेन में संकट किसी आक्रमण से नहीं, बल्कि कीव में पश्चिम समर्थित तख्तापलट का परिणाम है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अलास्का शिखर सम्मेलन में हुई सहमति से यूक्रेन में शांति का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
सम्मेलन से इतर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की अलग से द्विपक्षीय मुलाकात प्रस्तावित है, जिसमें ऊर्जा, रक्षा और व्यापार जैसे मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि भारत चार दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है और यह केवल किसी एक देश के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए साझा खतरा है। उन्होंने दोहराया कि आतंकवाद पर कोई “दोहरा मापदंड” स्वीकार्य नहीं है। मोदी ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का ज़िक्र कर कहा कि यह हमला पूरी दुनिया के लिए एक चुनौती था।
पीएम मोदी ने कनेक्टिविटी पर भी जोर दिया और कहा कि “संपर्क केवल व्यापार नहीं, बल्कि विकास और विश्वास का माध्यम है।” उन्होंने हालांकि यह स्पष्ट कर दिया कि संप्रभुता से समझौता कर बनाई गई परियोजनाएं किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं होंगी। माना जा रहा है कि उनका यह बयान सीधे तौर पर चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव की ओर इशारा था, जिसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को शामिल किया गया है।
सम्मेलन में भारत-चीन-रूस के शीर्ष नेताओं का एक साथ मंच साझा करना भू-राजनीतिक दृष्टि से अहम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस शिखर सम्मेलन से एशिया में नई रणनीतिक समीकरणों की शुरुआत हो सकती है।