भीखमपुर खीरी: कस्बा भीखमपुर (Bhikhapur) में राधा अष्टमी (Radha Ashtami) पर काली माता मंदिर (Kali Mata Temple) में राधा रानी का वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजन अर्चन किया गया।राधा रानी को कढ़ी चावल व अरबी का भोग लगाकर भंडारे का आयोजन किया गया। भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी मनाई जाती है। इस साल 31 अगस्त 2025 को राधा अष्टमी मनाई गई। श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही राधा अष्टमी को भी बड़े ही धूम-धाम से मनाई जाती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राधा अष्टमी के दिन राधा रानी का जन्म गोकुल के पास ही रावल गांव में हुआ था। भक्तों ने व्रत रखकर राधा रानी व भगवान कृष्ण की प्रतिमा का श्रंगार कर पूजन अर्चन किया गया । राधा रानी की पूजा-उपासना करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। विवाहित जीवन खुशहाल रहता है।
इस अवसर पर सैकड़ों भक्तों ने पूजन अर्चन कर भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया। सायं राधा अष्टमी पर केक काटकर राधा रानी का आशिर्वाद प्राप्त किया जाएगा। इस अवसर पर राजेंद्र पांडेय ,वीरेश पाण्डेय, रामनिवास पाण्डेय ,अवनीश, मुनेन्द्र पाण्डेय, सर्वेश दुवेदी, अभिनेश अवस्थी, अभिषेक अवस्थी, अतुलेश मिश्र,रामू अवस्थी अनिल पांडे आदी सैकड़ों भक्त मौजूद रहे।
राधा अष्टमी का होता है विशेष महत्व
राधा अष्टमी का विशेष महत्व होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं संतान सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार जो लोग राधा रानी जी को प्रसन्न कर लेते हैं। उनसे भगवान श्री कृष्णा अपने आप प्रसन्न हो जाते हैं। कहा जाता है कि व्रत करने से घर में मां लक्ष्मी आती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। राधा रानी के बिना भगवान श्री कृष्ण की पूजा भी अधूरी मानी जाती है। मान्यता है कि एक हजार निर्जला एकादशी व्रत और राधा अष्टमी व्रत का फल एक समान होता है।