टोक्यो/ नई दिल्ली
अमेरिकी टैरिफ से उपजी वैश्विक उथल-पुथल और बदलते अंतरराष्ट्रीय समीकरणों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एशियाई दौरा अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी इस समय जापान और चीन की ऐतिहासिक यात्रा पर हैं और शनिवार को उनके जापान दौरे का दूसरा दिन रहा। इस दिन उन्होंने अपने जापानी समकक्ष शिगेरू इशिबा के साथ टोक्यो से सेंडाई तक हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन की यात्रा की। यह यात्रा भारत और जापान के बीच तकनीकी सहयोग और अवसंरचना विकास की गहराई को दर्शाती है। सेंडाई पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने “मोदी-सान वेलकम” के नारों के साथ प्रधानमंत्री का गर्मजोशी से स्वागत किया। यह दृश्य दोनों देशों की जनता के बीच गहरे मित्रतापूर्ण संबंधों और आपसी सम्मान का प्रतीक माना गया।
सेंडाई में प्रधानमंत्री मोदी ने टोक्यो इलेक्ट्रॉन सेमीकंडक्टर फैक्ट्री का निरीक्षण किया। उन्होंने प्रशिक्षण केंद्र और उत्पादन नवाचार प्रयोगशाला का मुआयना किया और कंपनी के शीर्ष अधिकारियों से विस्तृत चर्चा की। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि भारत और जापान का सेमीकंडक्टर क्षेत्र में सहयोग भविष्य की औद्योगिक क्रांति का आधार बनेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यात्रा की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा कि प्रधानमंत्री इशिबा और मैंने टोक्यो इलेक्ट्रॉन फैक्ट्री का दौरा किया। हम प्रशिक्षण कक्ष और उत्पादन नवाचार प्रयोगशाला गए और कंपनी के शीर्ष अधिकारियों से बातचीत की। सेमीकंडक्टर क्षेत्र भारत-जापान सहयोग का एक प्रमुख क्षेत्र है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने इस क्षेत्र में काफी प्रगति की है। बहुत से युवा भी इससे जुड़ रहे हैं और हम आने वाले समय में भी इस गति को जारी रखना चाहते हैं।
सेंडाई रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने टोक्यो में जापान के 16 प्रान्तों के राज्यपालों से भी मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के तहत राज्य-प्रान्त सहयोग को मज़बूत करने पर बल दिया। विदेश मंत्रालय के अनुसार इस बैठक में तकनीक, नवाचार, निवेश, कौशल विकास, स्टार्ट-अप और लघु एवं मध्यम उद्योगों में साझेदारी को और गहरा करने पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान शुरू की गई राज्य-प्रान्त साझेदारी पहल को आगे बढ़ाने पर विशेष जोर दिया।
जापान की यात्रा पूरी करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी आज ही चीन रवाना होंगे जहां वे तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस दौरान उनकी मुलाकात चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी होगी। माना जा रहा है कि यह मुलाकात केवल द्विपक्षीय संबंधों तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि त्रिपक्षीय सहयोग का नया रास्ता खोल सकती है। रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी टैरिफ नीतियों से बदलते वैश्विक समीकरण के बीच चीन में होने वाली इन बैठकों को अंतरराष्ट्रीय राजनीति की दिशा तय करने वाला माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रपति पुतिन इस दौरान भारत, चीन और रूस के बीच त्रिपक्षीय वार्ता की संभावनाओं पर जोर दे सकते हैं।


