फर्रुखाबाद: जिले के सबसे चर्चित पीडब्ल्यूडी ठेकेदार शमीम हत्याकांड (PWD contractor Shamim murder case) में बुधवार को अदालत ने कड़ा फैसला सुनाते हुए कुख्यात माफिया अनुपम दुबे (Mafia Anupam Dubey) और उसके गुर्गे बालकृष्ण उर्फ शिशु को उम्रकैद की सजा सुनाई। दोनों पर अदालत ने 1 लाख 3 हजार रूपये का आर्थिक दंड भी ठोका। फैसले से पहले फतेहगढ़ न्यायालय परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। चप्पे चप्पे पर पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स तैनात रही।
अदालत का यह फैसला फर्रुखाबाद ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में कानून के राज का ऐलान बनकर गूंजा।यह हत्याकांड वर्षों पहले जिले को दहला गया था, जब दिनदहाड़े ठेकेदार शमीम की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस वारदात के तार सीधे अनुपम दुबे से जुड़े पाए गए थे। सत्ता और रसूख के बल पर लंबे समय तक उसने केस की दिशा मोड़ने की कोशिश की, लेकिन आखिरकार कानून की पकड़ इतनी मजबूत साबित हुई कि दुबे को जेल की सलाखों के पीछे ही सड़ना पड़ा।
अनुपम दुबे प्रदेश के टॉप-10 माफियाओं की सूची में तीसरे नंबर पर कुख्यात है। उसके खिलाफ हत्या, रंगदारी, लूट, धमकी और गैंगस्टर एक्ट जैसे 63 संगीन मुकदमे दर्ज हैं। सरकार और प्रवर्तन निदेशालय ने उसकी 113 करोड़ रूपये से अधिक की अवैध संपत्ति जब्त की है। हाल ही में ईडी ने फर्रुखाबाद और हरदोई में लगभग 16 करोड़ रूपये की संपत्ति कुर्क की थी। फिलहाल अनुपम दुबे मथुरा जेल में बंद है।
फैसला सुनाते हुए अदालत ने साफ कहा कि कानून से बड़ा कोई नहीं है, चाहे कितना भी रसूखदार अपराधी क्यों न हो। अदालत ने माना कि ऐसी सजा समाज को यह संदेश देने के लिए जरूरी है कि अपराध की जड़ें अब और नहीं फैलेंगी। इस फैसले के बाद शमीम के परिवार और स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली और कहा कि देर से ही सही, लेकिन न्याय मिला है।