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Monday, August 25, 2025

आम जीवन सरल बनाने में मदद कीजिए

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अशोक मधुप
वरिष्ठ पत्रकार
सरकारों का काम आदमी के जीवन को सरल बनाना है।तकनीक के माध्यम से उसे ऐसी सुविधांए देना है कि वह परेशान न हो, किंतु भारत में हो इसके विपरीत रहा है। उन्हें अलग −अलग काम के लिए थोड़ी− थोड़ी बात के लिए परेशान किया जा रहा है। उनके जीवन को दुरूह किया जा रहा है।
आज सबसे बड़ी परेशानी हैं बैंको में जाकर खाते की केवाईसी कराने की।बैंकों की केवाईसी के नाम पर बैंक खाताधारक को परेशान किया जा रहा है।हालत यह है कि केवाईसी करानी है, इसकी उसे सूचना भी नही मिलती। उसे उसके लिए बैंक की ओर से मैसेज भी नही आता।
मेल आनी चाहिए। किंतु ऐसा हो नही रहा। वैसे प्रत्येक ट्रांजेक्शन के मैसेज आते रहते हैं। केबाईसी कराना है, इसका पता तब चलता है जब खातेधारक के चैक का भुगतान रोक दिया जाता है। वह पेमेंट नही कर पाता ।भुगतान रोकने के कारण चैक जारी करने वाले पर संबधित बैक या सस्थाएं चार सौ से आठ सौ रूपये तक का जुर्माना लगा देती है।मैंने पिछले साल ओरियंटल इंशोरेंस कंपनी को अपनी मेडिक्लेम पोलिसी के लिए चैक दिया। चैक बैंक गया तो भुगतान रूक गया। मैं बैंक गया। बैंक प्रबंधक ने खाता देखकर कहा कि खाता आपका जारी है। चैक का भुगतान कैसे रूका पता नहीं। उनके एक स्टाफ ने देखकर बताया कि खाता बंद किया हुआ है। बैंक प्रबंधक ने कहा कि अब सब कंप्यूटराइज है। हमें पता नही चलता और खुद जाता है। बैंक स्टाफ के पता है या नही । इससे खाताधारक को क्या लेना। मेरे से तो इंशोरेंस कंपनी ने चैक डिस ओनर होने के छह सौ रूपये अतिरिक्त वसूल लिए।मुझे तो फालतू का छह सौ रूपये का दंड़ पड़ गया।
अभी लाकर आपरेट करने बैंक जाना पड़ा तो बैंक स्टाफ ने कहा कि इसकी केवाईसी कराईये। हमने कहा कि अभी खाते की तो कराई है।उनका कहना था कि बैंक लॉकर की भी करानी है। लाँकर बैंक के खाते से जुड़ा है, यह बताने पर भी बैंक कर्मी नही माने।यदि आपके पास चार− पांच बैंक खाते हैं तो प्रत्येक दो साल से केवाईसी कराने जरूर जाना होगा।
अभी तक बैंक खाते चालू रखने के लिए केवाईसी करानी थी।अब बिजली विभाग के मैसेज आ रहे हैं, कि अपने कनेक्शन की ईकेवाईसी कराईए।आज जहां चारों ओर धोखे का जाल फैला है। ठग आपको फंसाने में लगे हैं, ऐसे में किस मैसेज को सही माना जाए, किसे गलत यह कैसे पता चले। अभी परिवहन विभाग का मैसेज आया है कि आधार आथोराइजेशन माध्यम से अपने ड्राइविंग लाइसैंस पर अपना मोबाइल नंबर अपडेट कराइए। समझ नही आ रहा कि क्या− क्या कराएं। हम पर ये सब करना नही आता।इसका मतलब ये की रोज जनसेवा केंद्र पर जाइये। लाइन में लगिए और पैसा भी दीजिए। लगता है कि कहीं ये जनसेवा केंद्र की आय बढ़ाने के लिए तो नही किया जा रहा।
अभी पिछले दिनों आदेश आया कि अपना आधार कार्ड प्रत्येक दस साल में अपडेट कराना है।मैं छोटे शहर में रहता हूं। यहां कि आबादी दो लाख के करीब है। पूरे शहर में आधार कार्ड अपडेट कराने का एक ही सैंटर है। मुख्य डाकघर। उसमें आधार कार्ड बनवाने वालों की सवेरे आठ बजे से लाइन लग जाती है।हम 75 साल से ऊपर के पति −पत्नी कैसे उस लाइन में लगें , ये कोई सोचने और बताने वाला नही है। दूसरे केंद्र का दरवाजा खुलने पर इस तरह धक्का−मुक्की होती है कि हम लाइन में लगे तो हाथ − पांव तुड़ाकर जरूर अस्पताल जांएगे।
केद्र सरकार / रिजर्व बैंक को आदेश करना चाहिए कि बैंक अपने यहां अतिरिक्त स्टाफ रखे। उसक कार्य सिर्फ खातेधारकों से समय लेकर उनके खातों की केवाईसे कराना हो।सरकार जिस तरह वोट बनवाती है। वोटर का वेरिफिकेशन कराती है। उसी तह से केवाईसी कराई जाए।इसके बैंक खाता धारकों को सुविधा होगी।केवाईसी कराने के लिए रखे जाने वाले युवाओं को रोजगार मिलेगा।यही काम राज्य की बिजली कंपनी कर सकती हैं। विभागीय मीटर रीडर माह में एक बार रीडिंग लेने उपभोक्ता के घर जाते हैं। वे ही उपभोक्ता से केवाईसी के पेपर लेले।मीटर रीडर को उपभोक्ता जानते हैं उन्हें पेपर देते किसी उपभोक्ता को परेशानी भी नही होगी।मीटर रीडर आफिस आकर इस कार्य में लगे स्टाफ को पेपर देकर केवाईसी कराए।हो यह रहा है कि संबधित विभाग बैंक/ बिजली अपना कार्य उपभोक्ता पर डाल उसके जीवन को कठिन बना रहे हैं, जबकि उन्हे अपने ग्राहकों को सुविधांए देनी चाहिए थीं। ऐसा ही आधार कार्ड अपडेट कराने के लिए व्यवस्था की जानी चाहिए। हां इसके लिए उपभोक्ता से थोड़ा बहुत चार्ज लिया जा सकता है।अभी एक मैसेज आया कि आपका इन्कमटैक्स का रिटर्न स्वीकार कर लिया गया है। मैंने अभी रिटर्न भरा नही, सो ये मैसेज बेटे को भेज दिया कि शायद उसने रिटर्न भरा हो । उसका जबाब आया कि पापा इस मैसेज के लिंक पर क्लिक मत करना । ये गलत लगता है।
आज सबसे बड़ी समस्या है कि सही और गलत का कैसे तै हो।किसी न किसी तरह धोखे में लेकर रोज हजारों व्यक्ति रोज ठगे जा रहे हैं।इससे कैसे बचा जाए?ऐसे हालात में जीवन दुरूह होता जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों को आम आदमी का जीवन को सरल बनाने के लिए काम करना चाहिए।
अशोक मधुप
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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