मथुरा। देश के प्रतिष्ठित संतों में गिने जाने वाले जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कथावाचक प्रेमानंद महाराज को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने प्रेमानंद महाराज को विद्वान मानने से इनकार करते हुए चुनौती दी है कि अगर वे सच्चे संत हैं तो संस्कृत का एक अक्षर बोलकर दिखाएं या शास्त्रीय श्लोक का अर्थ समझाएं।रामभद्राचार्य ने कहा कि भक्ति केवल बाहरी दिखावे और लोकप्रियता से नहीं होती, बल्कि उसकी गहराई शास्त्रों की समझ से झलकती है। उन्होंने तर्क दिया कि पहले कथा वाचन केवल वे लोग करते थे जो वेद, पुराण और उपनिषदों में पारंगत होते थे, लेकिन आजकल सोशल मीडिया और मंचीय लोकप्रियता के कारण कई लोग धार्मिक गुरु के रूप में देखे जा रहे हैं, जबकि वे धर्म की गहराई से अनजान हैं।जगद्गुरु ने कहा कि असली चमत्कार वही है, जो शास्त्रों को समझे और श्लोकों का सार स्पष्ट कर सके। उन्होंने प्रेमानंद महाराज की लोकप्रियता को अस्थायी बताते हुए कहा कि बीमारी में मंदिर की परिक्रमा करना या भीड़ जुटा लेना किसी स्थायी आध्यात्मिक उपलब्धि का प्रमाण नहीं है।हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके मन में प्रेमानंद महाराज के लिए कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। उन्होंने उन्हें एक ‘बालक’ के समान बताया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि धार्मिक नेतृत्व केवल भावनाओं से नहीं, बल्कि बौद्धिकता और गहरी आध्यात्मिक समझ से होना चाहिए।