– हर जिला जज के लिए AC लगेगा
– हाईकोर्ट में भी जजों की कमी, ओल्ड पेंशन का मुद्दा
– जिला न्यायपालिका ही न्याय का असली चेहरा है
– नए केस ज्यादा होने से बढ़ रही पेंडेंसी
– प्रदेश में 10 लाख की जनसंख्या पर सिर्फ 11 जज
– उच्च न्यायालय में स्वीकृत पदों के मुकाबले सिर्फ 33% जज हैं
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न्यायिक व्यवस्था में सुधार की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयास
लखनऊ: मैं एक डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में गया तो देखा कि जज गर्मी से बेहाल थे। वहां प्राकृतिक गर्मी तो थी ही, वकीलों की भी गर्मी थी। इसलिए हर जिला जज (judge) के लिए AC लगाया जाएगा। इसके लिए यूपी सरकार मदद करेगी।’ यह बात सीएम योगी (CM Yogi) ने शनिवार को कही। वह लखनऊ स्थित इलाहाबाद हाईकोर्ट बेंच परिसर में संघ के 42वें वार्षिक अधिवेशन में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली, वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता, न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान, न्यायमूर्ति राजन राव सहित कई गणमान्य न्यायिक अधिकारी मौजूद रहे।
योगी ने कहा- सरकार चाहती है कि हर आमजन को समय पर न्याय मिले। मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि साल- 2018 के अधिवेशन में भी मुझे शामिल होने का मौका मिला था। उस समय भी यह बात साफ थी कि न्यायिक सेवा से जुड़ी संस्थाएं न केवल संगठन का स्वरूप देती हैं, बल्कि न्याय प्रणाली का भविष्य तय करने में भी निर्णायक भूमिका निभाती हैं। न्यायिक व्यवस्था को प्रभावी और जनसुलभ बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा लगातार महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न्यायिक व्यवस्था के सशक्तिकरण को लेकर कई घोषणाएं कीं। साथ ही, ₹50 करोड़ का कॉर्पस फंड बनाकर जजों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि राज्य में 2024 के दौरान ट्रायल कोर्ट्स में 72 लाख मामलों का निस्तारण हुआ है, जो लम्बित मामलों के समाधान की दिशा में बड़ी उपलब्धि है। सरकार ने अब तक 381 नए न्यायालयों की स्थापना की है, और अदालतों में फायर सेफ्टी, सीसीटीवी व अन्य आधुनिक संसाधनों के लिए करोड़ों की स्वीकृति दी गई है।
वहीं, उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ के अध्यक्ष रणधीर सिंह ने न्यायाधीशों की संख्या में भारी कमी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने बताया कि राज्य में प्रति 10 लाख जनसंख्या पर केवल 11 जज हैं, जो राष्ट्रीय मानकों से काफी कम है। इस अधिवेशन के माध्यम से यह संदेश स्पष्ट हुआ कि यदि सरकार और न्यायपालिका मिलकर काम करें तो प्रदेश में न्यायिक प्रक्रिया को तेज, पारदर्शी और अधिक विश्वसनीय बनाया जा सकता है। योगी सरकार के प्रयासों से उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में न्याय व्यवस्था और अधिक सशक्त होगी।