फर्रुखाबादl गंगा और रामगंगा के उफान से बाढ़ का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। गंगा नदी खतरे के निशान से 24 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है, जबकि रामगंगा नदी का जलस्तर 65 सेंटीमीटर नीचे जरूर है, लेकिन इससे फिलहाल कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही। जनपद के करीब 100 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं, जिनमें तीनों तहसीलों के गांव शामिल हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित गांव कायमगंज तहसील क्षेत्र के शमशाबाद और कायमगंज ब्लॉक के बताए जा रहे हैं। वहीं अमृतपुर तहसील और सदर क्षेत्र के भी कई गांव पानी में डूबे हुए हैं। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि बड़ी संख्या में ग्रामीणों का आवागमन पूरी तरह ठप हो चुका है।कंपिल-बदायूं मार्ग की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। पिछले चार दिनों में यह मार्ग तीन स्थानों पर कट चुका है। एक जगह पर पानी का बहाव इतना तेज है कि ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर बिजली के खंभों का सहारा लेना पड़ रहा है। खंभों को पानी में गाड़कर लोग उसी सहारे रास्ता पार कर रहे हैं, ताकि बहाव में न बह जाएं। वहीं कुछ स्थानों पर रस्सी बांधकर ग्रामीण अपनी जान बचाते हुए गुजर रहे हैं। कई गांवों में नाव और स्टीमर से ही आवागमन संभव हो पा रहा है। इसके अलावा फर्रुखाबाद-बदायूं स्टेट मार्ग और इटावा-बरेली हाईवे पर भी बाढ़ पीड़ितों ने डेरा डाल रखा है, क्योंकि उनके घर पानी में डूब चुके हैं। कई परिवार अपने मकानों की छतों पर शरण लिए हुए हैं तो कई लोग मजबूरी में सड़कों पर रहने को विवश हैं।बाढ़ के कारण किसानों की सैकड़ों बीघा फसल पानी में डूबकर खराब हो गई है। इससे ग्रामीणों पर आर्थिक संकट भी गहराने लगा है। खेतों में लगी धान और अन्य खरीफ फसल पूरी तरह से बर्बाद हो रही है। दूसरी ओर, प्रशासन ने बाढ़ की स्थिति को देखते हुए पहले से तैयारियां कर रखी थीं। बाढ़ शरणालय खोले गए हैं जहां बड़ी संख्या में प्रभावित परिवारों को ठहराया गया है। यहां राहत सामग्री भी वितरित की जा रही है। जिला प्रशासन की ओर से स्वास्थ्य शिविर लगाए गए हैं और बाढ़ चौकियां भी बनाई गई हैं, जहां चिकित्सकों की टीम तैनात है। दवाइयों और प्राथमिक इलाज की व्यवस्था की गई है ताकि बाढ़ प्रभावित लोग किसी बड़ी समस्या का सामना न करें।सड़कों पर पानी घुटनों से लेकर कमर तक भरा हुआ है। प्रशासन ने सुरक्षा के लिहाज से जगह-जगह बेरिकेडिंग कर दी है ताकि लोग दुर्घटना का शिकार न हों। हालांकि पानी का स्तर रामगंगा में घटा है, लेकिन गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से अभी भी ऊपर बना हुआ है। यही कारण है कि हालात अभी सामान्य होने की उम्मीद दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही। ग्रामीणों की बढ़ती मुश्किलों और बर्बाद हो रही फसल ने पूरे जनपद को संकट में डाल दिया है। प्रशासन लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटा है, लेकिन बाढ़ का कहर अभी थमने का नाम नहीं ले रहा।