लखनऊ। उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग (PWD) एक बार फिर सवालों के घेरे में है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ताज़ा रिपोर्ट में विभाग के कामकाज में भारी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2016-17 से 2021-22 तक केंद्रीय सड़क निधि (Central Road Fund) से जो सड़क निर्माण परियोजनाएं चलाई गईं, उनमें नियमों को ताक पर रखकर करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया गया।
CAG की जांच के दौरान यह सामने आया कि विभाग ने जिन मदों में भुगतान किया, वे कई बार बिल ऑफ क्वांटिटी (BOQ) में शामिल ही नहीं थे। यानी जिन कार्यों का टेंडर और अनुबंध हुआ ही नहीं, उनके नाम पर भी ठेकेदारों को रकम जारी कर दी गई।
इतना ही नहीं, कई मामलों में तो निर्माण कार्यों की नाप-जोख तक नहीं की गई। बिना तकनीकी जांच और सटीक मापदंडों के ठेकेदारों को धनराशि का भुगतान कर दिया गया। इससे सरकारी खजाने को भारी चपत लगी।
रिपोर्ट में साफ लिखा है कि CAG ने जब नमूने के तौर पर कामों की जांच की, तो 9 सड़क परियोजनाएं ऐसी पाई गईं जिनमें गैर-शामिल मदों पर भी भुगतान कर दिया गया। यह सीधे तौर पर वित्तीय नियमों और इंजीनियरिंग प्रक्रियाओं का उल्लंघन है।
CAG ने अपनी रिपोर्ट में टिप्पणी की है कि इस तरह की अनियमितताओं से सरकारी खजाने पर करोड़ों रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा। साथ ही, बिना नाप-जोख और मानक प्रक्रिया के कामों का भुगतान होने से निर्माण की गुणवत्ता भी संदिग्ध हो गई है।
CAG की यह रिपोर्ट अब उत्तर प्रदेश शासन को भेजी गई है। सूत्रों के मुताबिक, शासन स्तर पर इस मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है और आने वाले दिनों में जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई हो सकती है।
विपक्षी दलों ने भी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि यह घोटाला जनता के पैसों की लूट है और इसमें शामिल हर अधिकारी और ठेकेदार पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
यह पहली बार नहीं है जब PWD के कामकाज पर सवाल खड़े हुए हैं। पहले भी विभाग पर घटिया निर्माण और भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन इस बार CAG जैसी संवैधानिक संस्था की रिपोर्ट ने विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।
अब बड़ा सवाल यही है कि क्या सरकार इस रिपोर्ट पर कड़ा कदम उठाएगी या फिर मामला फाइलों में दबकर रह जाएगा।