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Monday, August 18, 2025

डूबने से सिपाही समेत नौ की गई जान, रामगंगा और गंगा नदी के उफान से तबाही

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कालोनियां अवैध और वोट वैध तो विकास क्यों नहीं ?

– जिला प्रशासन की लापरवाही और कमजोर तैयारियों के चलते लोग परेशान
– संपर्क मार्ग बहे

मुरादाबाद: जिले में लगातार हो रही बारिश और नदियों के उफान से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। रामगंगा और गागन (Ramganga and ganga rivers) समेत अन्य नदियों में जलस्तर बढ़ने से बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। बीते 15 दिनों में जिले में सिपाही समेत नौ लोगों की जान (died) पानी में डूबने से जा चुकी है। मझोला क्षेत्र में दो किशोरों की मौत ने इलाके में दहशत बढ़ा दी है।

गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र के बेहटा हाजीपुर निवासी सिपाही मोनू कुमार (29) 11 अगस्त की रात अपने साथी सिपाही अमरपाल के साथ गश्त पर थे। इसी दौरान रामगंगा नदी के पानी से बने तेलीघाट पर मछुआरों के जाल हटाते समय मोनू का पैर फिसल गया और वह तेज बहाव में बह गए। उनका शव बाद में बरामद किया गया। इससे पहले कटघर, डिलारी, कांठ और कुंदरकी क्षेत्र में भी अलग-अलग हादसों में लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। कुछ तालाबों और कुछ नदियों में डूबने से ये हादसे हुए।

रामगंगा नदी में आई बाढ़ से वीकनपुर पुल के दोनों ओर के एप्रोच रोड कट गए हैं, जिससे ग्रामीणों का संपर्क मार्ग टूट गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नदी गांव से महज 100 मीटर दूर बह रही है। खलील के चार बीघे खेत में आम का बाग नदी की कटान से बर्बाद हो रहा है। ग्रामीणों ने प्रशासन से कई बार शिकायत की लेकिन अभी तक कोई मदद नहीं पहुंची है।

शहर में भी महज दस मिनट की बारिश ने जल निकासी व्यवस्था की पोल खोल दी। रामगंगा विहार, बुद्धि विहार, प्रभात मार्केट, लाजपतनगर, करुला, भोलानाथ कॉलोनी जैसे कई मोहल्लों में पानी भर गया। कई इलाकों में घरों और दुकानों के भीतर तक पानी घुस गया। लोग खुद ही सफाई करने को मजबूर हुए। भोलानाथ कॉलोनी में हालत सबसे खराब रही, जहां भारी जलभराव से लोग घरों में कैद हो गए। स्थानीय निवासियों ने आरोप लगाया कि नगर निगम अवैध कॉलोनी बताकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता है। लेकिन वोट तो वैध फिर विकास क्यों नहीं ?

रामगंगा विहार की वीआईपी कॉलोनी में भी घुटनों तक पानी भर गया। यहां रहने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को भी जलभराव से दो-चार होना पड़ा। लाइनपार के मंडी, विकास नगर, कुंदनपुर, ढक्का की पुलिया जैसे इलाके भी जलभराव से प्रभावित हैं। जिला प्रशासन की लापरवाही और कमजोर तैयारियों के चलते शहर और ग्रामीण दोनों इलाकों में लोग परेशान हैं। बारिश और नदी के जलस्तर में थोड़ी कमी आई है, लेकिन खतरा अभी भी बना हुआ है। ग्रामीणों को डर है कि यदि जल्द राहत कार्य नहीं हुए तो हालात और बिगड़ सकते हैं।

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