(मनोज कुमार अग्रवाल-विनायक फीचर्स)
हमारे देश में महिलाओं को वात्सल्य और ममता की प्रतिमूर्ति माना जाता है। बढ़ते आधुनिकीकरण के दौर में महिलाएं हर क्षेत्र में उत्तरोत्तर प्रगति कर रही हैं। निसंदेह यह प्रशंसा और गौरव की बात है कि महिलाएं अब चौके -चूल्हे से लेकर कंप्यूटर और लड़ाकू विमान तक सफलतापूर्वक संचालित कर रही हैं। आज के दौर में महिलाओं की अधिकांश उपलब्धियों पर गर्व ही होता है। ऐसे में देश भर में महिलाओं की अपराध में भागीदारी निरंतर बढ़ना चिंताजनक है। सोनम और मुस्कान ही नहीं हजारों अन्य महिलाओं ने भी शातिर अपराधियों की तर्ज पर अपराध को अंजाम दिया है। पहले अपराध की दुनिया में पुरुषों का ही बोलबाला रहता था, लेकिन अब महिलाएं यहां पर भी पुरुषों से पीछे नहीं रहीं। बीते पांच साल में अपराध की काली दुनिया में महिलाओं की गिनती तीन गुणा बढ़ी है। नशा तस्करी, ह्यूमन ट्रेफिकिंग, बच्चा चोरी, साइबर क्राइम लूटपाट, हत्या से लेकर लगभग सभी अपराधों को इन दिनों महिलाएं पुरुषों की तरह अंजाम दे रहीं हैं। कई मैट्रो शहरों में चैन स्नैचिंग डकैती लूट जैसे दुस्साहसी अपराधों में सीधे तौर पर अथवा पुरुष साथी के सहयोगी के तौर पर भागीदारी निश्चित तौर पर भारतीय समाज को चौंकाने वाली है।
देश की राजधानी होने के नाते दिल्ली के शेष देश की अपेक्षा अधिक सुरक्षित होने की उम्मीद की जाती है परन्तु वास्तविकता इसके विपरीत ही है। एक ताजा रिपोर्ट बताती है कि इस समय राजधानी दिल्ली के अपराध जगत में पुरुषों के साथ-साथ महिला अपराधी भी समान रूप से सक्रिय हैं। कमोबेश यही हालात देश के दूसरे शहरों में भी तेजी से पैदा हो रहे हैं।
इसका उदाहरण कुछ समय पहले तब मिला जब नई दिल्ली के एक इलाके में नाबालिगों ने कुणाल नामक किशोर को सरेआम चाकुओं से बींध डाला और निकट ही खड़ी ‘सीलमपुर की लेडी डॉन’ के नाम से कुख्यात ‘जिक्रा खान’ इस घटना को चुपचाप देखती रही। वह पहले गैंगस्टर ‘हाशिम बाबा’, जो इस समय जेल में है, की पत्नी की बाउंसर थी पर बाद में उसने अपना गिरोह बना लिया।
नाबालिग लड़कों को भर्ती करके उन्हें हत्या करने की ट्रेनिंग देने में माहिर ‘जिक्रा खान’ की ‘कुणाल’ की हत्या में संलिप्तता ने उसे दिल्ली की सबसे खतरनाक औरतों में शामिल कर दिया है। ‘जिक्रा खान’ जैसी महिलाएं हाशिए से उठ कर आज दिल्ली के अंडर वर्ल्ड की अगली पंक्ति में आ खड़ी हुई हैं जो करोड़ों रुपयों का नशे का व्यापार करने के साथ-साथ लोगों की हत्या और महिलाओं तथा बच्चों की तस्करी में शामिल पाई जा रही हैं।
एक अध्ययन में बताया गया है कि ये अपराधी महिलाएं क्रूरता बरतने के मामले में पुरुष अपराधियों से कम नहीं हैं। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, सत्ता में आने के इनके तरीके भी अलग-अलग हैं। कुछ महिलाएं गरीबी से निकल कर अपराध की दुनिया में आईं जबकि कुछ अन्य महिलाओं ने पुरुष गैंगस्टरों के साथ जाने को प्राथमिकता दी और उनके जेल चले जाने पर उनका धंधा संभाल लिया।
ये गैंगस्टर महिलाएं लोगों के सामने आम औरतों की तरह अपनी ‘बेचारी’ या ‘कमजोर’ वाली छवि का इस्तेमाल कर भीड़ में लुप्त हो जाती हैं। दिल्ली में बॉस महिला अपराधियों की सूची लगातार बढ़ रही है। इनमें सबसे बड़ा नाम ‘सोनू पंजाबन’ उर्फ गीता अरोड़ा का है जो अपने पति की मौत के बाद जी.बी. रोड में देह व्यापार के धंधे की निर्विवाद सरगना बन गई। पुलिस के अनुसार वह माडर्न ग्राहकों को प्रभावित करने के लिए इस धंधे से जुड़ी लड़कियों को थोड़ी-बहुत अंग्रेजी सिखाने के साथ-साथ माडर्न लुक देती थी। वर्ष 2011 में उसे ‘मकोका’ के तहत गिरफ्तार किया गया था।
‘सोनू पंजाबन’ का पहला गैंगस्टर पति 2004 में तथा दूसरा पति 2006 में मारा गया। ‘पोक्सो’ तथा मानव तस्करी के कानून के अंतर्गत पकड़ी जाने से पहले ‘सोनू पंजाबन’ का वेश्यावृत्ति गिरोह हाई प्रोफाइल ग्राहकों को नाबालिग लड़कियों की सप्लाई किया करता था।
महिला अपराधियों में एक नाम ‘जोया खान’ का है, जिसने 2019 में अपने पति ‘हाशिम बाबा’ के जेल चले जाने के बाद उसके गिरोह को चलाने की जिम्मेदारी संभाली और हाल ही में 1 करोड़ रुपए मूल्य की 225 ग्राम हेरोइन के साथ गिरफ्तार किए जाने तक उसने यह धंधा चालू रखा।
कुछ महिला गैंगस्टर तो अपने-अपने इलाकों में इतनी प्रसिद्ध हो गई हैं कि शरारती बच्चों के माता-पिता उन्हें डराने के लिए इन ‘लेडी डॉन’ के नाम का इस्तेमाल तक करने लगे हैं। प्रतिद्वंद्वी गिरोह तक इनसे डरते हैं।
दिल्ली के सबसे बड़े आपराधिक परिवारों में एक नाम 8 बच्चों की मां ‘बशीरन’ और उसके परिवार का है, जिस पर 100 से अधिक मामले दर्ज हैं। अपराध की दुनिया में वह ‘गॉडमदर’ के नाम से जानी जाती है।
महिला अपराधियों में एक नाम मोबाइल फोन और महिलाओं से चेन झपट कर फरार हो जाने वाली बाइक सवार झपटमार रमाप्रीत का भी है। एक अन्य महिला अपराधी ‘सायरा बेगम’ ने जी.बी. रोड के कोठे में सैक्स वर्कर के रूप में काम शुरू किया था। बताया जाता है कि कुछ ही वर्षों बाद उसने यह कोठा खरीद कर अपना स्वतंत्र धंधा शुरू कर दिया।
उक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि आज देश के अन्य स्थानों विशेषकर शहरों में महिला अपराधियों की तादाद में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। राजधानी दिल्ली की जनता भी अपराधी गिरोहों के साथ-साथ महिला अपराधियों के रहम पर है जिससे मुक्ति पाने के लिए राजधानी की कानून-व्यवस्था को और चुस्त करने की तुरंत जरूरत है।
मैट्रो शहरो में अकेले पुरुष की गाड़ी में लिफ्ट मांग कर सुनसान इलाके में उसे लूट लेने, मोबाइल, फेसबुक पर वीडियो काल के जरिए पुरुषों को हनीट्रेप कर ब्लेक मेल कर मोटी रकम वसूलने,अनर्गल आरोप लगाकर ब्लेक मेल करने की वारदातों की झड़ी लगी है।
अब समय आ गया है कि सरकार को महिला पुरुष को समकक्ष मान कर कानून के प्रावधान तैयार करने चाहिए। आज समय के साथ स्थिति में काफी बदलाव आ गया है और महिलाओं में भी अपराध की ओर झुकाव बढ़ रहा है। आम तौर पर बहुत सारी अपराधी महिलाएं महिला होने के चलते अपराध करने के बाद भी साफ बच निकलने में कामयाब हो जाती है लेकिन अब आ रहे बदलाव और अपराध की दुनिया में बढ़ रही महिलाओं की सक्रियता के चलते जांच के तौर तरीको में बदलाव की गंभीर आवश्यकता है। (विनायक फीचर्स)
महिला सशक्तिकरण और अपराध की दुनिया में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
