फर्रुखाबाद। बेसिक शिक्षा अधिकारी दफ्तर में तैनात वरिष्ठ लिपिक सुरेंद्रनाथ अवस्थी पर भ्रष्टाचार और दबंगई का ऐसा खुमार चढ़ा है कि पूरा सिस्टम उनकी खाऊ कमाऊ नीति के आगे नतमस्तक नजऱ आ रहा है। शिक्षकों की मीटिंग व प्रशिक्षण के लिए बने ऑफिस को इन्होंने अपनी निजी कोठी बना डाला है।
आदेश और नियम इनके लिए महज़ कागज़ के टुकड़े हैं।जब से प्रभारी बीएसए अनुपम अवस्थी ने चार्ज संभाला है, तभी से सुरेंद्रनाथ ने डिस्पैच बाबू के पास नया डेरा डालकर खुद को ‘छाया बीएसए’ बना लिया है। ऑफिस की कोई भी फाइल बिना उनकी मुहर और बिना लेन देन के आगे नहीं बढ़ती। रात-दिन बीएसए दफ्तर में जमे रहना इनकी आदत बन चुकी है।
इतिहास खंगालें तो सुरेंद्रनाथ अवस्थी विवादों की खान हैं। कायमगंज ब्लॉक में रिश्वत से तंग आकर एक शिक्षक ने सुसाइड नोट लिखकर जान दे दी थी, जिसमें इनका नाम साफ-साफ दर्ज था। फिलहाल वे उसी मामले में जमानत पर बाहर हैं। इतना ही नहीं, 2008 में फर्जी शैक्षणिक प्रमाण पत्र के सहारे मिली नौकरी भी इनकी बर्खास्तगी का कारण बनी, मगर हाईकोर्ट से स्टे लेकर फिर से विभाग में मलाई काटने लौट आए।
शिक्षकों और कर्मचारियों के बीच यह चर्चा आम है कि सुरेंद्रनाथ अवस्थी की असली पहचान ही है खाऊ-कमाऊ नीति। भ्रष्टाचार और सिफारिश की इस जुगलबंदी ने विभाग का माहौल बिगाड़ दिया है, लेकिन अफसरशाही के संरक्षण में इन पर कभी कड़ी कार्रवाई नहीं हो पाती।
बीएसए के बाबू की खाऊ कमाऊ नीति से बेसिक शिक्षा विभाग में हडक़ंप
