– मामला छह साल की बच्ची छवि शर्मा की मौत से जुड़ा
नई दिल्ली: चीफ जस्टिस बीआर गवई (Chief Justice BR Gavai) ने दिल्ली-एनसीआर के आवारा कुत्तों (stray dog) पर आदेश पर फिर विचार करने का आश्वासन दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को डॉग बाइट्स और रेबीज (rabies) के मामलों को देखते हुए सभी आवारा कुत्तों को 8 हफ्तों में दिल्ली-एनसीआर के आवासीय क्षेत्रों से हटाकर शेल्टर होम में भेजने का आदेश दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा कि इसमें बाधा डालने वाले व्यक्ति या संगठन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कॉन्फ्रेंस फॉर ह्यूमन राइट्स (इंडिया) की याचिका का हवाला दिया, जिसमें एनिमल बर्थ कंट्रोल (डॉग) रूल, 2001 का पालन नहीं होने की बात कही गई। यह नियम आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के लिए नियमित नसबंदी और टीकाकरण कार्यक्रमों को जरूरी मानता है। चीफ जस्टिस बीआर गवई ने सुनवाई के दौरान आश्वासन दिया कि आवारा कुत्तों के मामलों पर दोबारा विचार किया जाएगा। कोर्ट ने पशु प्रेमियों से सवाल किया कि क्या वे रेबीज के शिकार बच्चों को वापस ला सकते हैं, यह बताते हुए कि बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है।
बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के हमलों के कारण रेबीज से होने वाली मौतों की घटनाओं पर 28 जुलाई को खुद नोटिस लिया था। कोर्ट ने इसे बेहद चिंताजनक और डराने वाला बताया था। इससे पहले पशुपालन राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने 22 जुलाई को लोकसभा में बताया था कि 2024 में 37 लाख से ज्यादा डॉग बाइट्स के मामले आए। इसके अलावा 54 लोगों की मौत रेबीज से हुईं। रिपोर्ट दिल्ली में छह साल की बच्ची छवि शर्मा की मौत से जुड़ी हुई है। उसे 30 जून को एक कुत्ते ने काट लिया था। इलाज के बावजूद 26 जुलाई को उसकी मौत हो गई।
राहुल और प्रियंका ने कहा था- बेजुबान पशु कोई ‘समस्या’ नहीं हैं
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को हटाने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मंगलवार को प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि ये दशकों से चली आ रही मानवीय और साइंटिफिक पॉलिसी से पीछे ले जाने वाला कदम है। ये बेजुबान पशु कोई ‘समस्या’ नहीं हैं, जिन्हें हटाया जाए।
यह सुनिश्चित करना होगा कि छोटे बच्चे और नवजात किसी भी हालत में रेबीज का शिकार ना हो लोग बिना के डर के घर से बाहर निकल सके – जस्टिस जे बी पारदीवाला, सुप्रीम कोर्ट