– पीयूष, परेश और दीपक रस्तोगी पर शिकंजा, 87 एफआईआर में नाम, चार साल से फरार
लखनऊ: राजधानी Lucknow में बुधवार सुबह प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़े पैमाने पर कार्रवाई करते हुए रोहतास प्रोजेक्ट (Rohtas project) से जुड़े बहुचर्चित धोखाधड़ी मामले में एक साथ छह ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के तहत हो रही है, जिसमें अब तक 87 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं।
सूत्रों के अनुसार, ईडी की टीमें सुबह से ही पीयूष रस्तोगी, परेश रस्तोगी और दीपक रस्तोगी के आवास और कारोबारी ठिकानों पर पहुंचीं। इन तीनों के करीबी सहयोगियों के घरों और दफ्तरों पर भी तलाशी ली जा रही है। बताया जा रहा है कि तलाशी के दौरान वित्तीय लेनदेन से जुड़े कई दस्तावेज, डिजिटल रिकॉर्ड और संदिग्ध लेनदेन की जानकारी जुटाई जा रही है।
ईडी की जांच में सामने आया है कि पीयूष, परेश और दीपक रस्तोगी पिछले चार वर्षों से फरार हैं। पुलिस और अन्य जांच एजेंसियां इनकी तलाश में लंबे समय से जुटी हुई हैं, लेकिन अभी तक गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। इनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट भी जारी किए जा चुके है। रोहतास प्रोजेक्ट से जुड़े इस घोटाले का खुलासा वर्ष 2021 में तब हुआ जब परियोजना के खरीदारों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। खरीदारों का आरोप था कि उन्होंने लाखों रुपये देकर फ्लैट और प्लॉट बुक कराए थे, लेकिन तय समय पर कब्जा नहीं मिला। इसके बाद धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई।
मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल की पड़ताल
चूंकि मामला भारी वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़ा था, इसलिए ईडी ने इसे मनी लॉन्ड्रिंग की श्रेणी में लेकर जांच शुरू की। एजेंसी का मानना है कि आरोपियों ने खरीदारों से वसूली गई रकम को विभिन्न कंपनियों और खातों के जरिए घुमाकर अवैध रूप से निवेश किया। इस दौरान करोड़ों रुपये के लेनदेन का पता चला है।