फर्रुखाबाद: दरगाह शाहबुद्दीन औलिया के सालाना चार रोजा उर्स (Rosa Urs) में अकीदतमंदों की भीड़ उमड़ रही है। चादरपोशी (offering chadar) गुलपोशी का दौर जारी है। इस दोरान तहाफ़्फ़ुजे अहले सुन्नत पर एक जलसे का एहतमाम हुआ। जिसमें अलग अलग शहरों से पहुंचे उलेमाओं ने दीनी और दुनियावी तालीम सीखने पर जोर दिया। कहा गया कि दिन को सीखना जितना जरूरी है उतना ही दुनियावी तालीम जरूरी है।
फतेहगढ़ लोको स्थित गंगा जमुनी तहजीब की प्रतीक दरगाह शहाबुद्दीन औलिया के 265 वे सलाना उर्स जारी है। चार रोजा उर्स में देश के अलग अलग शहरों से अकीदतमंद पहुंच रहे है। इसलिए दरगाह पर इस समय खूबसूरत नजारा देखते ही बन रहा है।
तहाफ़्फ़ुजे अहले सुन्नत पर जलसे का एहतमाम किया गया जिसमें प्रमुख रूप से पटना के प्रो. शमीमुद्दीन मुनामी ने तकरीर पेश करते हुए लोगों से कहा कि जहां रहे जैसे भी रहे और जिस हालत में रहो लेकिन बच्चों को तालीम सिखाओ। तालीम उतना ही जरूरी है जितना जरूरी इंसान के लिए आक्सीजन जरूरी है। इसलिए बच्चों को दिन की तालीम के साथ साथ दुनियावी तालीम सिखाओ।
मकनपुर के अशफाक जाफरी ने कहा कि बेटियों की तालीम बहुत जरूरी है बेटियों को तालीम से महरूम मत रहने दो। बेटियां ही घरों की रोशनी है अगर बेटियां तालीम याफ़्ता होंगी तो वह कई पीढ़ियों को संवार सकेंगी। सैय्यद मुक्तदा हुसैन जाफरी, सोहेल मियां ने भी तकरीर पेश की। मुफ्ती सजर अली ने नात पाक पेश की तो जलसे में मौजूद अकीदमंद झूम उठे। सज्जादा नशीन मोहम्मद शरीफ उर्फ मोहब्बत शाह, नायाब सज्जादा नशीन शाह मुहम्मद वसीम ने दुआ की। इस मौके पर आकिब खान, मोहसिन खान आदि रहे।