27 C
Lucknow
Monday, September 22, 2025

ईडी को सुप्रीम आदेश, कानून के दायरे में रहकर काम करें

Must read

– ईडी द्वारा 5,000 मामलों में दोषसिद्धि की दर 10 फीसदी से भी कम

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्यशैली पर सख्त रुख अपनाते हुए गुरुवार को कहा कि एजेंसी बदमाशों की तरह काम नहीं कर सकती, उसे कानून के दायरे में ही काम करना होगा। कोर्ट ने यह टिप्पणी पीएमएलए कानून को लेकर 2022 के फैसले की समीक्षा याचिकाओं की सुनवाई के दौरान की।

जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्ज्वल भुयान और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने ईडी की छवि और दोषसिद्धि की कम दरों पर चिंता जताई। कोर्ट ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में ईडी द्वारा दर्ज किए गए लगभग 5,000 मामलों में दोषसिद्धि की दर 10 फीसदी से भी कम रही है। न्यायमूर्ति भुयान ने कहा कि अगर 5-6 साल की न्यायिक हिरासत के बाद आरोपी बरी हो जाते हैं तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रभावशाली आरोपी अदालती कार्यवाही को लंबा खींचने के लिए वकीलों की फौज लगाते हैं, जिससे जांच प्रभावित होती है।

एएसजी एसवी राजू ने ईडी की ओर से बचाव करते हुए कहा कि दोषसिद्धि की दर कम होने के पीछे प्रभावशाली आरोपियों की रणनीति जिम्मेदार है। वहीं कोर्ट ने सुझाव दिया कि पीएमएलए मामलों के लिए समर्पित अदालतें बनाई जाएं और रोजाना सुनवाई कर मामलों को तेजी से निपटाया जाए।

इससे पहले जुलाई 2022 में विजय मदनलाल चौधरी मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने धन शोधन में शामिल लोगों को गिरफ्तार करने, उनकी संपत्ति कुर्क करने और पीएमएलए के तहत तलाशी और जब्ती करने की ईडी की शक्तियों को बरकरार रखा था। सुनवाई अगले सप्ताह जारी रहेगी।

‘ऐसा नहीं चल सकता’

जस्टिस कांत ने कहा कि सभी समस्याओं का समाधान टाडा और पोटा अदालतों जैसी समर्पित अदालतें हैं। पीएमएलए अदालतें दिन-प्रतिदिन की कार्यवाही कर सकती हैं, जिससे मामलों का शीघ्र निपटारा हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘हां, प्रभावशाली आरोपी अभी भी कई आवेदन दायर करेंगे, लेकिन इन आरोपियों और उनके वकीलों को पता होगा कि चूंकि यह दिन-प्रतिदिन की सुनवाई है और उनके आवेदन पर अगले ही दिन फैसला सुनाया जाएगा। अब उन पर कड़ी कार्रवाई करने का समय आ गया है। हम उनके प्रति सहानुभूति नहीं रख सकते। मैं एक मजिस्ट्रेट को जानता हूं, जिसे एक दिन में 49 आवेदनों पर फैसला करना पड़ता है। उनमें से प्रत्येक पर 10-20 पेजों का आदेश पारित करना पड़ता है। ऐसा नहीं चल सकता।’

Must read

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article