– दिल्ली में स्कूल फीस बिल पर गरमाई सियासत
– दिल्ली की सियासत में यह मुद्दा अब शिक्षा, पारदर्शिता और जनहित के सवालों के साथ बड़ा राजनीतिक बहस बन चुका है।
नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में पेश किए गए स्कूल फीस रेगुलेशन बिल को लेकर राजनीतिक पारा चढ़ गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने BJP पर प्राइवेट स्कूलों के हित में कानून बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह बिल फीस बढ़ोतरी को वैध बनाने की कोशिश है। आप नेता और नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने भाजपा विधायक राजकुमार भाटिया के उस कथित बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि बिल की मंशा निजी स्कूलों को फीस बढ़ाने का अधिकार देना है।
आतिशी ने दावा किया कि प्रस्तावित कानून में अभिभावकों की शिकायतों को दर्ज करने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है और इससे स्कूलों को मनमानी करने की छूट मिल जाएगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बिल में फीस रेगुलेशन कमेटी की अध्यक्षता स्कूल प्रबंधन को दी गई है, जबकि अभिभावकों की भूमिका नाम मात्र की है।
आतिशी ने सोशल मीडिया पर राजकुमार भाटिया के बयान की क्लिप साझा करते हुए भाजपा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने बताया कि अगर कोई अभिभावक फीस बढ़ोतरी का विरोध करना चाहता है तो उसे कम से कम 15 प्रतिशत अभिभावकों को साथ लाना होगा। उदाहरण के लिए, अगर किसी स्कूल में 3000 छात्र हैं, तो 450 पैरेंट्स की सामूहिक शिकायत ही मान्य मानी जाएगी। उन्होंने कहा कि बिल में स्कूलों के खातों के ऑडिट का कोई जिक्र नहीं है और एक बार अगर फीस बढ़ोतरी का निर्णय हो गया, तो उसे कोर्ट में चुनौती भी नहीं दी जा सकती। आतिशी ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा विधानसभा की कार्यवाही को मुद्दों से भटकाने में लगी है और जनता के पैसों की बर्बादी कर रही है।
पूर्व डिप्टी सीएम और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने लिखा कि भाजपा ने शिक्षा को “काला धंधा” बना दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह गठबंधन निजी स्कूल मालिकों और नेताओं को मालामाल करने का जरिया बन गया है। आम आदमी पार्टी ने इस बिल में कई संशोधन प्रस्तावित किए हैं और उम्मीद जताई है कि इन संशोधनों पर विधानसभा में गंभीर चर्चा होगी। पार्टी का कहना है कि भाजपा अगर सच में अभिभावकों के हित में है, तो उसे इन संशोधनों का समर्थन करना चाहिए।