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Tuesday, September 23, 2025

बाढ़ में डूबी बस्ती, पानी में निकली शवयात्रा, वाराणसी की अमरपुर मड़िया से हिला देने वाली तस्वीर

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– ‘अब कितना पानी घटा? आज रात और बढ़ेगा क्या?’
– काम नहीं करेंगे तो खाएंगे क्या?’
– राहत शिविर में जिनके नाम नहीं, उन्हें बाहर से भगा दिया गया।

वाराणसी: वरुणा नदी (Varuna River) किनारे बसी बस्ती शैलपुत्री-अमरपुर मड़िया (Shailputri-Amarpur Madia) इन दिनों भीषण बाढ़ की चपेट में है। गली-मोहल्लों में कमर तक भरा पानी, घरों के भीतर घुसा सैलाब और इस सबके बीच एक तस्वीर जिसने सबको झकझोर दिया—बाढ़ के पानी से होकर एक शवयात्रा निकाली गई। 80 वर्षीय शोभना देवी का निधन हुआ, लेकिन हालात ऐसे कि शव को श्मशान तक ले जाने के लिए सूखी ज़मीन तक कोई रास्ता नहीं बचा। मजबूरी में परिजनों ने शव को कांधा देकर पानी में ही अंतिम यात्रा शुरू की। बाढ़ के बीच, घुटने से ऊपर पानी में डूबे रास्ते से लोग अपनों को विदा करने निकले।

गंगा का जलस्तर भले ही अब धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन गंगा और वरुणा के किनारे बसे इलाकों की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रहीं। खासकर गरीब और झुग्गी बस्तियों की हालत बेहद खराब है। अमरपुर मड़िया और आसपास की कई बस्तियों में सैकड़ों घर पूरी तरह डूब चुके हैं। खाने-पीने की चीज़ें खत्म हो चुकी हैं, बिजली और साफ पानी का नामोनिशान नहीं। कुछ लोग राहत शिविरों में पहुंचे हैं, लेकिन बड़ी संख्या में परिवार अब भी अपने डूबे घरों में फंसे हुए हैं—न मदद पहुंच रही है, न ही किसी राहत का कोई ठोस भरोसा। बाढ़ पीड़ितों की उम्मीदें प्रशासन की ओर टिकी हैं, लेकिन अब तक सरकारी मदद की रफ्तार बेहद धीमी है।

वाराणसी के घाटों पर जहां कभी सुबह की आरती और गंगा स्नान की परंपरा गूंजती थी, वहीं अब वही गंगा विनाश की तस्वीर बन चुकी है। बाढ़ ने इस बार सिर्फ जमीन ही नहीं, लोगों की ज़िंदगी की बुनियाद हिला दी है। एक ठेलेवाले ने बताया कि हरदिन यही हाल है। सुबह कमर भर पानी में से ठेला लेकर निकलते हैं, दुकान लगाते हैं, शाम को फिर ऐसे ही लौटते हैं। कोई सुविधा नहीं है। लेकिन काम नहीं करेंगे तो खाएंगे क्या?’

बाढ़ प्रभावितों में प्रशासन के प्रति गहरा रोष है। लोग कह रहे हैं कि टीवी पर दावा किया जाता है कि राशन बंट रहा है, लेकिन हम तक कुछ नहीं आया। किसी के पास माचिस तक नहीं बची। बाढ़ राहत शिविरों में जिनके नाम नहीं चढ़े, उन्हें बाहर से भगा दिया गया।

जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने बताया कि सोमवार सुबह 10 बजे गंगा का जलस्तर 72.10 मीटर रिकॉर्ड किया गया है, जो कि खतरे के निशान से करीब 80 सेंटीमीटर ऊपर है. उन्होंने बताया, शहर के 28 वार्ड बाढ़ प्रभावित हैं। 24 राहत शिविर चलाए जा रहे हैं। अब तक 4,500 से अधिक लोग इन शिविरों में शरण लिए हुए हैं। प्रशासन घर-घर राशन पहुंचाने की व्यवस्था में जुटा है। रिलीफ और रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है. गंगा में जलस्तर घट रहा है। जल्द ही स्थिरता आएगी।

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