नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की ओर से Rahul Gandhi के एक बयान पर की गई टिप्पणी ने एक नए राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। कोर्ट ने भारत-चीन सीमा विवाद पर राहुल गांधी के बयान की सुनवाई करते हुए उनकी “भारतीयता” पर सवाल उठाया था, जिस पर अब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi) ने सीधा सवाल उठाया है—”कोई जज कैसे तय कर सकता है कि सच्चा भारतीय कौन है?”
प्रियंका गांधी ने संसद परिसर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का पूरा सम्मान करती हैं, लेकिन यह तय करना कि कौन सच्चा भारतीय है और कौन नहीं, न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। उन्होंने कहा कि एक विपक्षी नेता का काम है सवाल पूछना, सरकार को जवाबदेह बनाना, और अगर यही करना देशभक्ति के खिलाफ गिना जाएगा, तो फिर लोकतंत्र का मतलब ही खत्म हो जाएगा। राहुल गांधी ने वही किया जो एक जिम्मेदार विपक्षी नेता का धर्म होता है—सरकार से जवाब मांगना। उन्होंने जोर दिया कि सेना के प्रति राहुल गांधी के मन में अत्यधिक सम्मान है और उनके बयान को जानबूझकर तोड़-मरोड़कर पेश किया गया।
पूरा मामला दिसंबर 2022 का है, जब भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने यह बयान दिया था कि “चीन ने भारत की 2,000 वर्ग किलोमीटर जमीन कब्जा ली है।” इस बयान को लेकर लखनऊ में उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया गया, जिसमें राहुल गांधी को समन भी जारी हुआ। राहुल ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जहां सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उनसे सवाल किया कि उन्होंने यह दावा किस आधार पर किया। यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता ने टिप्पणी की कि “अगर आप एक सच्चे भारतीय होते, तो ऐसा बयान नहीं देते।” इसी टिप्पणी पर प्रियंका गांधी ने आपत्ति जताई है और इसे न्यायपालिका के दायरे से बाहर बताया है।
इस टिप्पणी के बाद बीजेपी नेताओं ने राहुल गांधी पर तीखा हमला किया। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजु ने इसे “कड़ा संदेश” बताया, वहीं बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की बात से राहुल गांधी की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है।
प्रियंका गांधी का यह रुख इस पूरे विवाद को नया मोड़ देता है। उनका कहना है कि “सच्चा भारतीय कौन है?” यह सवाल भावनात्मक नहीं, संवैधानिक है — और इसका जवाब संविधान और लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों में छिपा है, न कि अदालत की राय में।
प्रियंका गांधी सवाल क्यों उठा रही हैं?
प्रियंका गांधी सवाल इसलिए उठा रही हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी में उन्हें राजनीति की झलक दिख रही है, न कि कानून और संविधान की भावना। आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट अपने फैसलों में नैसर्गिक न्याय यानी नैचुरल जस्टिस के सिद्धांतों को प्राथमिकता देता है — ऐसा इंसाफ जो निष्पक्ष हो, न्यायपूर्ण हो और संवैधानिक ढांचे में हो। लेकिन विपक्ष के एक नेता द्वारा दिए गए बयान पर जिस तरह से कोर्ट ने सार्वजनिक रूप से टिप्पणी की, वह प्रियंका गांधी को असामान्य और असंतुलित लगी। उनकी चिंता इस बात को लेकर है कि अगर अदालतें भी राजनीतिक बयानबाज़ी में उतरने लगें, तो फिर जनता के सामने न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठ सकते हैं।
प्रियंका का तर्क यह भी है कि अगर सुप्रीम कोर्ट को किसी बयान पर आपत्ति थी, तो वह कानूनी प्रक्रिया के तहत उसे देखता — संवैधानिक आधारों पर। जैसे, अगर किसी पर देशद्रोह का आरोप होता है तो उसके लिए कानून में तय प्रक्रियाएं हैं, जिनका पालन होना चाहिए। लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ, सिर्फ टिप्पणी की गई, जिससे एकतरफा संदेश गया। इसके अलावा, कांग्रेस के अनुभव में यह भी रहा है कि जब राहुल गांधी ने राफेल मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट को लेकर एक गलत संदर्भ दिया था, तब उन्हें माफी मांगनी पड़ी थी।
यानी न्यायपालिका ने तब बहुत स्पष्ट रुख अपनाया था। लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी खुद राजनीतिक प्रतीत हुई — यही बात प्रियंका गांधी को खटक रही है। इसलिए उनका सवाल उठाना सिर्फ अदालत की आलोचना नहीं है, बल्कि यह एक संकेत है कि न्यायपालिका को राजनीति से ऊपर दिखना चाहिए — क्योंकि वही उसकी असली ताकत और विश्वसनीयता है।