मरीज की सतर्कता से टला बड़ा हादसा, डिप्टी सीएम ने फेसबुक पेज पर दी जानकारी
उरई (जालौन): राजकीय मेडिकल कॉलेज जालौन में डॉक्टरों (doctors) की बड़ी लापरवाही का सनसनीखेज मामला उजागर हुआ है। माधौगढ़ के डिकोली निवासी बृजेश चौधरी (पुत्र लालजी) को बुधवार को बिना वजह operation के लिए ओटी में ले जाया गया। मरीज की समझदारी और सतर्कता से उसकी जान बच गई, अन्यथा उसका पेट बेवजह फाड़ दिया जाता।
जानकारी के मुताबिक, बृजेश चौधरी को 28 जुलाई को पेट दर्द की शिकायत पर सर्जरी वार्ड-7 में भर्ती किया गया था। जांच में आंतों में सूजन पाई गई थी और इलाज जारी था। डॉक्टरों ने परिजनों को आश्वस्त किया था कि सुबह डिस्चार्ज कर देंगे। मगर बुधवार को अचानक स्टाफ के लोग उसे ओटी में ले गए। वहां दो इंजेक्शन लगाने के बाद उसे सर्जरी ड्रेस पहनाकर ऑपरेशन की तैयारी शुरू कर दी गई। इस पर मरीज घबरा गया और डॉक्टरों-स्टाफ से परिजनों से मिलने की बात कहकर किसी तरह चकमा देकर बाहर आ गया।
उसकी सतर्कता ने बड़ा हादसा टाल दिया। मामले की गंभीरता पर प्राचार्य डॉ. अरविंद त्रिवेदी और डॉ. पुनीत अवस्थी की दो सदस्यीय टीम ने जांच की। जांच में सहायक प्राध्यापक डॉ. सुधांशु शर्मा, सीनियर रेजिडेंट डॉ. विशाल डायनासोर और नर्सिंग स्टाफ की उषा देवी, अमरपाली एस. लाल व स्नेहप्रभा दोषी पाए गए। सभी को तत्काल निलंबित कर प्राचार्य कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है।
इस कार्रवाई की जानकारी डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर साझा की। उन्होंने लिखा कि “मरीज की सुरक्षा सर्वोपरि है, लापरवाही किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी। साथ ही, 15 दिन में गहन जांच कर शासन को रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गए हैं। माना जा रहा है कि आगे और कड़ी कार्रवाई हो सकती है।
बोले मेडिकल कॉलेज के जिम्मेदार
उरई: “मरीज को ओटी में बिना वजह ऑपरेशन के लिए लाने के मामले में जांच के बाद दो डॉक्टर और तीन नर्स को दोषी पाया गया है। इन्हें तत्काल निलंबित कर प्रिंसिपल कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। जांच में साफ हुआ है कि यह सभी अपने कार्य पटल पर सतर्क नहीं थे। अब मामले की गहनता से 15 दिन तक जांच चलेगी, जिसके बाद आगे कार्रवाई की जाएगी।”— डॉ. अरविंद त्रिवेदी, प्रधानाचार्य, राजकीय मेडिकल कॉलेज जालौन