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Friday, October 10, 2025

सामाजिक विघटन का विदेशी षणयंत्र सफल न होने दें: प्रभात अवस्थी

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फर्रुखाबाद: हिन्दी साहित्य साहित्य भारती (hindi literature literature bharti) के प्रदेश के पदाधिकारी एव् प्रखल विचारक डा.प्रभात अवस्थी (Prabhat Awasthi) ने कहा कि सृष्टि का कोई भी जीव बिना शीश के जीवित नहीं रह सकता(अमीबा को छोड़कर)।समाज जीवमान ईकाई ब्राह्मण उसका शीश है। उसको समाज से काटकरअलग-थलग करने के विदेशी षड्यंत्र अन्य वर्ग के लोगों को भ्रमित कर चलाए जा रहे हैं और लोग सफल भी हो रहे हैं। जातीय राजनीतिऔर सत्ता स्वार्थ उसका सबसे बड़ा माध्यम बना है।

उन्होंने कहा कि हिन्दू संस्कृति कैसे खत्म हो उसके लिए विदेश की धरती से मुस्लिम,ईसाई व समाज केअन्य वर्गों के लोगों को लेकर ब्राह्मण समाज पर हमले हो रहे हैं।वह जानते हैं कि जैसे शीश को काटकर शेष शरीर मृत हो जाता वैसे समाज के शीश ब्राह्मण को काट (खत्म)कर शेष समाज मृत हो जाएगा फिर आसानी से हिन्दू संस्कृति को नष्ट कर सकेंगे।ब्राह्मण विहीन समाज में कोई प्रतिरोध करने वाला नहीं होगा।

अफगानिस्तान,पाकिस्तान,म्यांमार, मालदीव और बंगलादेश तथा कुछ जगहों पर भारत में भी उनके प्रयोग सफल हुए हैं।इसे सभी को समझना होगाअन्यथा कुछ भी शेष बचने वाला नहीं है।इसलिएअपनेऔरअपनी हिन्दू संस्कृति की रक्षा के लिए स्वयं को संगठित कर शक्तिसंपन्न बनाना होगा।-डाॅ प्रभात अवस्थी

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