रामलीला। कृष्णलीला। …माने धरती पर भगवानो आके कुछ करत बाड़न त ऊ लीले कहाई । धरती पर भा संसार में खाली लीला बा। ड्रामा बा। आदमी के पूरा जीवन एगो लीला बा। ई बात अगर आत्मसात हो जाय या आदमी एकरा के मन से स्वीकार कर लेव त दुख के एहसास ना होई भा दुख-सुख दुनों में आदमी समभाव रही। बाकिर अपना के अभिनेता के रूप में स्वीकार कइल सबसे मुश्किल काम बा ।
एह मुश्किल काम के तपस्या कहल जाला, साधना कहल जाला, सिद्धि कहल जाला । जे साध लेला ऊ संत हो जाला। भगवान कृष्ण गीता में इहे समझावे के कोशिश कइले बाड़न। बाकर गीता के ज्ञान के जीवन में उतारल बहुत मुश्किल बा। जीवन में दुख आ दुख एहसास के कारण बा। आदमी खुद के अभिनेता ना मान के असल मान लेला आ फेर माया में अझुरा के तड़पे लागेला। परमात्मा से ऊ डिस्कनेक्ट हो जाला ।
संत लोग कहेला कि परमात्मा से कनेक्ट भइला के बाद दुख-सुख के एहसास ना होई, आदमी निडर हो जाई, शांतचित्त हो जाई, आनंद से भर जाई। बाकिर दोसरा तरफ सच्चाई ई बा कि भलही हमनी के परमात्मा के अंश आत्मा हई जा आ आत्मा अजर-अमर बा, लेकिन हमनी के पास देह बा, मन बा त दैहिक आ मानसिक कष्ट होत रहेला ।
संत आ सिद्ध पुरुष के बात छोड़ दीं त आम आदमी के चेतना एतना ऊपर ना उठ पावेला कि ऊ दैहिक आ मानसिक पीड़ा में तड़पे ना । जीवन में बहुत पत्थरबाजी होई, बहुत अटैक होई, बहुत बात अइसन होई जवन दिल में लाग जाई, बहुत कुछ अइसन होई जवन भय पैदा
कृष्ण के कृपा!
करी, …. बाकिर ई सब लीला ह। लछुमन जी मूर्छित भइलें त राम जी के रोअला के ठेकान ना रहे। कृष्ण जी के केतना पीड़ा झेले के पड़ल । … सब लड़ाई एही सब से उबरे के बा। राम आ कृष्ण के जीवन इहे त सिखावेला । राम के चेतना एतना जागल रहे कि राजा बने के जगह बनवास भइल तो विचलित ना भइलें । दोसर बात ई कि उनकर जीवन चरित्र आ जीवन-संघर्ष उनका के मर्यादा पुरुषोत्तम बनवलस। कृष्ण के कर्मयोग उनका के योगेश्वर बनवलस। विशेष बने त विशेष कष्ट भी सहे के पड़ी।
हमार एगो शेर बा – चाँद सूरज बने के जो मन बा तब त गरहन के सहहीं के बाटे:
राम आ कृष्ण के कहानी बच्चा-बच्चा के जाने के चाहीं । एह कहानी में हर रोग के इलाज बा द्य हर समस्या के समाधान बा। आजकल छोटा-छोटा बच्चा, विद्यार्थी लोग कवनो कंपटीशन ना निकलला पर आत्महत्या कर लेता। बड़का – बड़का विद्वान, व्यापारी भा कलाकार लोग कवनो टार्गेट पूरा ना भइला पर, कवनो सपना पूरा ना भइला पर आपन देह त्याग देता।
केकर सब सपना पूरा भइल बा भाई ? जब राम आ कृष्ण के सब सपना पूरा ना भइल त हमनी के कइसे हो जाई ! जब राम आ कृष्ण जइसन सर्वसमर्थ के भी दुश्मन मिललें त हमरा-रउरा से रार बेसाहे वाला, नफरत करे वाला भा धनके-जरे वाला लोग काहे ना भेंटाई द्य जिनगी सीधा-सपाट नइखे । नाटक भा फिलिम सीधा-सपाट कहाँ होला ! ओह में खलखल के पात्र होलें, तब जाके लीला होला । जिनगी लीला ह । जेकर चेतना जाग
जाला, ऊ आनंद लेला । जेकर ना जागे ऊ पेरात रहेला, डेरात रहेला, छटपटात रहेला। ऊ लीला में एतना इनवॉल्भ हो जाला कि ओकर जिनगी समस्या बन जाला। जिनगी समस्या ना ह, संभावना है। राम आ कृष्ण के लीला अपना हर काण्ड में, हर अध्याय में ई बात बतावत बा। भोजपुरी जंक्शन के राम पर दू गो अंक निकल चुकल बा।
अब प्रस्तुत बा कृष्ण अंक । एह अंक में कृष्ण के कई गो रूप उभर के आइल बा । गीता के ज्ञान देवे वाला कृष्ण भी दुख से बाँचल नइखन। उनकर अंत दर्दनाक भइल बा। दर्द जीवन के हिस्सा ह, एकरा के आत्मसात करे के पड़ी। जिनगी आ मौत के बीच बस एगो साँसे बा। योगी लोग कहेला कि जे साँस के साध लीहल, ऊ डर, भय, क्रोध, घबराहट सबके साध ली। आ जे सबके साध ली, ऊ लीला में रही, पीड़ा में ना । कृष्ण हमनी के चेतना के जगावस, उठावस । योगी ना त कम से कम आदमी बनावस । आदमी के मूल स्वभाव ह प्रेम कइल आ खुश रहल। धरती पर प्रेम आ आनंद बरिसे । सब पर लीलाधर कृष्ण के कृपा बनल रहे !
मनोज भावुक
भोजपुरी कवि और साहित्यकार