भारतीय किसान मजदूर यूनियन ने जताई नाराज़गी, टेल तक पानी पहुंचाने की मांग तेज
शमशाबाद, फर्रुखाबाद: बरसात के मौसम में भी सिंचाई के लिए तरसते किसानों का गुस्सा (farmers angry) फूट पड़ा है। शमशाबाद क्षेत्र की निचली गंगा नहर (Lower Ganga canal) में लंबे समय से पानी न आने से किसान बेहद मायूस हैं। धान, गन्ना और सब्जियों जैसी प्रमुख फसलों की बुवाई और देखभाल कर रहे किसानों ने भारतीय किसान मजदूर यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राम बहादुर राजपूत के नेतृत्व में प्रदर्शन करते हुए नहर विभाग की लापरवाही पर गहरा रोष जताया।
किसानों की पीड़ा: नहर सूखी, खेत सूने
जानकारी के अनुसार, शमशाबाद और आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर किसान इस समय धान की रोपाई, गन्ने की देखरेख और सब्जी उत्पादन में लगे हुए हैं। लेकिन अफसोस की बात यह है कि निचली गंगा नहर, जो हजारों बीघा ज़मीन की सिंचाई का प्रमुख साधन है, उसमें कई दिनों से पानी नहीं आ रहा है। यदि कहीं थोड़ी मात्रा में पानी आता भी है, तो कुछ दबंग किसानों द्वारा बांध लगाकर उसका रास्ता रोक दिया जाता है। इससे टेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा।
गरीब किसान बेहाल, अमीरों के सहारे सिंचाई
स्थानीय किसानों का कहना है कि बारिश न होने की स्थिति में उन्हें निजी संसाधनों के सहारे सिंचाई करनी पड़ रही है। कई संपन्न किसान सिंचाई के लिए 150 से 200 रुपये प्रति घंटा वसूल रहे हैं, जो गरीब किसानों के लिए असंभव है। यह आर्थिक शोषण की स्थिति बना रहा है, जिससे खेती अब उनके लिए बोझ बनती जा रही है।
नहर विभाग की अनदेखी पर सवाल
किसानों ने आरोप लगाया कि नहर विभाग पूरी तरह से निष्क्रिय बना हुआ है। विभागीय लापरवाही की वजह से, जो पानी आ भी सकता था, वह भी रास्ते में ही दबंगों के कब्जे में चला जाता है। कायमगंज झब्बूपुर से आगे के हिस्से में नहर में बांध लगाकर पानी को रोका जा रहा है, जिससे टेल क्षेत्र पूरी तरह सूखा पड़ा है।
प्रदर्शन और मांगें
प्रदेश अध्यक्ष राम बहादुर राजपूत ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “भरी बरसात में भी किसानों को नहर से पानी नहीं मिलना बेहद शर्मनाक है। यह नहर किसानों की जीवनरेखा है। अधिकारियों की अनदेखी और कुछ प्रभावशाली लोगों की मनमानी की वजह से आज गरीब किसानों की फसलें सूखने की कगार पर हैं।”
उन्होंने नहर विभाग से तत्काल पानी छोड़े जाने और टेल तक निर्बाध रूप से पानी पहुंचाने की मांग की। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि समय रहते पानी नहीं छोड़ा गया तो बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा।