लखनऊ: ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध राजधानी लखनऊ (Lucknow) का हुसैनाबाद (Husainabad) क्षेत्र एक बार फिर विवादों में है। यहां हुसैनाबाद ट्रस्ट की बेशकीमती जमीन पर बिना किसी सार्वजनिक सूचना के 6 से 7 दुकानों का अवैध निर्माण कार्य तेज़ी से जारी है। यह निर्माण कार्य घंटाघर के सामने नगर निगम के लाइट विभाग और सर्विस सेंटर के पास देखा गया है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि प्रशासन और ट्रस्ट दोनों ही इस पर चुप हैं।
स्थानीय निवासियों और जागरूक नागरिकों का कहना है कि उन्हें इस निर्माण की न तो कोई पूर्व सूचना दी गई, न ही किसी प्रकार की वैधानिक जानकारी उपलब्ध कराई गई। न नगर निगम और न ही हुसैनाबाद ट्रस्ट की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने आई है। इससे पहले चटोरी गली, रूमी दरवाज़ा के पास भी इसी तरह का अवैध निर्माण शुरू हुआ था, जिसे प्रशासन ने तत्काल रुकवा दिया था। ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि जब पहले ऐसी कार्रवाई संभव थी, तो अब इस बार प्रशासन और ट्रस्ट की चुप्पी क्यों?
स्थानीय नागरिकों ने आशंका जताई है कि यह चुप्पी संभावित मिलीभगत की ओर इशारा करती है। उनका कहना है कि जब एक ओर हुसैनाबाद की ऐतिहासिक इमारतें जैसे छोटा इमामबाड़ा का प्रवेश द्वार और नौबतखाना, जर्जर हालत में हैं और संरक्षण की प्रतीक्षा कर रही हैं, ऐसे में ट्रस्ट की संपत्ति पर इस प्रकार के अवैध निर्माण से धरोहरों के अस्तित्व पर सीधा खतरा मंडरा रहा है।
नागरिकों ने प्रशासन और ट्रस्ट से यह मांग की है कि इस निर्माण की वैधता को सार्वजनिक किया जाए। यदि यह निर्माण अवैध पाया जाता है, तो तत्काल प्रभाव से इसे रोका जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो।
लखनऊ की विरासत को लेकर उठ रहे सवाल:
क्या हुसैनाबाद ट्रस्ट की संपत्ति पर हो रहा यह निर्माण पूरी तरह अवैध है?
क्या प्रशासन और ट्रस्ट की चुप्पी किसी अंदरूनी समझौते का संकेत है?
क्या लखनऊ की ऐतिहासिक पहचान अब अवैध निर्माणों की भेंट चढ़ेगी?