लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कानपुर के मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डा हरिदत्त नेमि के निलंबन आदेश पर अंतरिम रोक के बावजूद उन्हें कार्य करने से रोकने के मामले में सख्त रूख अपनाया है।
अदालत ने पूरे प्रकरण का दस्तावेजी रिकॉर्ड तलब किया है, साथ ही चेतावनी भी दी है कि यदि रिकॉर्ड में हेराफेरी पायी गयी तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जायेगी। मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।
न्यायधीश राजीव सिंह की एकल पीठ ने यह आदेश डा नेमि द्वारा दाखिल अवमानना याचिका पर दिया है। याचिका में प्रमुख सचिव चिकित्सा व स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा, जिलाधिकारी कानपुर जितेंद्र प्रताप सिंह, एडीएम कानुपर नगर राजेश कुमार, एसीपी अभिषेक पांडेय, चकेरी थाना एसएचओ संतेाष शुक्ला व डॉ. उदय नाथ को विपक्षी पक्षकार बनाया गया है।
गौरतलब है कि डॉ. नेमि को राज्य सरकार ने बीती16 जून को निलंबित करते हुए, उनके स्थान पर डॉ. उदयनाथ को सीएमओ नियुक्त किया था। डॉ. नेमि की याचिका पर उच्च न्यायालय ने बीती सात जुलाई को ही उनके निलंबन आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
डॉ. नेमि की ओर से अधिवक्ता एलपी मिश्र का कहना था कि स्टे ऑर्डर की कॉपी सम्बंधित उच्चाधिकारियों को प्रेषित कर जब याची ने सीएमओ ऑफिस में जाकर चार्ज लेना चाहा तो कानपुर के अपर जिलाधिकारी (एडीएम) राजेश कुमार, अपर पुलिस आयुक्त (एसीपी) अभिषेक पांडेय व थाना प्रभारी (एसएचओ) संतोष शुक्ला ने उनके साथ अभद्रता की और अदालती आदेश की अवमानना की।
आरेाप लगाया गया कि जिस प्रकार से जिले के अफसरों ने कोर्ट के ऑर्डर के प्रति प्रतिक्रिया दी है और आदेश के बाद भी याची का तमाशा बनाया, वह अदालत की अपराधिक अवमानना करने की श्रेणी में आता है।
याची ने कोर्ट से आग्रह किया कि जिन अधिकारियों ने सीएमओ ऑफिस जाकर वहां याची के साथ अभद्रता की, उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाये।