फर्रुखाबाद: मऊदरवाजा थाना की हथियापुर बूथ क्षेत्र में दिलीप कुमार राजपूत की संदिग्ध आत्महत्या ने पूरे जनपद को झकझोर कर रख दिया है। आत्महत्या से पहले दिलीप (Dilip) ने अपनी ही पैंट पर सुसाइड नोट लिखा, जिसमें पुलिस उत्पीड़न और अवैध वसूली की बात कही गई। इस सनसनीखेज मामले में आरक्षी यशवंत यादव और महेश उपाध्याय पर तो मुकदमा दर्ज कर लिया गया, लेकिन चौकी के हलका इंचार्ज उपनिरीक्षक (Sub-inspector) अजय यादव का नाम अब तक जांच के दायरे से बाहर है यही सबसे बड़ा सवाल बन गया है।
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि चौकी में सिपाही अकेले किसी को पीटें, अपमानित करें या पैसे वसूलें, यह बिना हल्का इंचार्ज की जानकारी के संभव नहीं। ऐसे में क्या अजय यादव भी इस पूरे प्रकरण में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल नहीं थे? अगर हां, तो उनके खिलाफ अब तक कार्रवाई क्यों नहीं?इस सवाल ने यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली और आंतरिक संरचना पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। कहीं फिर वही पुराना खेल तो नहीं सिपाही को बलि का बकरा बनाकर अफसर बचा लिए जाएं? लोगों की मांग है कि उपनिरीक्षक अजय यादव की भूमिका की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच हो, ताकि असल दोषियों को सजा मिल सके और दिलीप जैसे निर्दोषों की मौत व्यर्थ न जाए।