10827 स्कूल बंद हुए, कोई नहीं बोला पर एक कविता बोलने पर शिक्षक पर एफआईआर
प्रशांत कटियार
उत्तर प्रदेश के बरेली (Bareilly) जनपद के बहेड़ी क्षेत्र में एमजीएम इंटर कॉलेज के अध्यापक (Teacher) डॉ. रजनीश गंगवार को लेकर जिस प्रकार का वातावरण निर्मित किया गया है, वह न केवल शिक्षा व्यवस्था की दुर्दशा का दर्पण है, बल्कि समाज के बुद्धिविरोधी और भीड़तंत्र मानसिकता की गहरी बीमारी को भी उजागर करता है।
जरा सोचिए एक शिक्षक (Teacher) जिसने छात्रों को भीड़ से बचाकर कक्षा में बैठकर पढ़ने और ज्ञान अर्जित करने की सलाह दी जिसे एक प्रेरणात्मक कविता के रूप में प्रस्तुत किया गया, वह आज एफआईआर जांच और सोशल मीडिया ट्रोलिंग का शिकार है और समाज जो वर्षों से यह शिकायत करता रहा है कि युवा दिशाहीन हो रहे हैं, वह खुद आज ज्ञान के वाहक शिक्षक के खिलाफ खड़ा दिख रहा है।
प्रदेश में 10827 विद्यालयों का बंद होना क्या यह सिद्ध नहीं करता कि समाज अब शिक्षा के प्रति संवेदनशील नहीं रहा? इन स्कूलों में पढ़ने वाले कौन थे? गरीब, ग्रामीण, वंचित और दलित पिछड़े तबके के बच्चे। क्या इनकी शिक्षा बाधित होने पर कोई हिंदूवादी संगठन, कोई समाजसेवी, कोई विरोध का स्वर उठा नहीं लेकिन जैसे ही एक शिक्षक ने यह कह दिया कि कांवड़ ढोने से डीएम एसपी नहीं बना जा सकता धर्म के स्वयंभू ठेकेदारों की आस्था घायल हो गई।
डॉ. रजनीश गंगवार द्वारा विद्यालय की प्रार्थना सभा में सुनाई गई कविता की कुछ पंक्तियां थीं
कांवड़ ढोकर कोई वकील, डीएम, एसपी नहीं बना है…
जाति धर्म का नशा छोड़कर, स्वकल्याण करो तुम…
कांवड़ लेने मत जाना, तुम ज्ञान का दीप जलाना…
यह कोई धार्मिक व्यंग्य नहीं था, बल्कि शिक्षा और तर्क के पक्ष में एक सामाजिक चेतना का गीत था। यह कविता उस वातावरण में पढ़ी गई जहां बच्चे स्कूल छोड़कर कांवड़ लेने की भीड़ में जा रहे थे, सड़क पर नशे और भीड़भाड़ का हिस्सा बन रहे थे। क्या शिक्षक का काम छात्रों को अंधानुकरण से बचाकर सोचने की दिशा देना नहीं है सच्चाई यही है कि इस पूरे मामले में धर्म सिर्फ एक बहाना है, असल निशाना है एक शिक्षक जो सोचने की प्रेरणा देता है जो छात्रों को भीड़ नहीं, किताब की ओर ले जाता है।
आज जब शिक्षक डरकर चुप बैठ जाएंगे तब धर्म के नाम पर अंधविश्वास, दिखावा और पाखंड का अंधेरा और घना हो जाएगा।डॉ. गंगवार जैसे शिक्षक दुर्लभ हैं जो अपने कर्तव्य को सिर्फ तनख्वाह के बदले की सेवा नहीं मानते, बल्कि एक मिशन की तरह निभाते हैं। वे न सिर्फ एक शिक्षक हैं, बल्कि कवि ब्रांड एम्बेसडर स्वच्छ भारत मिशन के प्रतिनिधि और समाज के लिए एक रोल मॉडल हैं। ऐसे व्यक्ति को अपमानित करना एक पूरे वर्ग को कलंकित करना है।
जब जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. अजीत कुमार सिंह यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वीडियो पुराना है और शिक्षक की मंशा धर्म विरोधी नहीं तब भी अगर मामले को बेवजह उछाला जा रहा है, तो यह साफ है कि यह शिक्षा और प्रबुद्धता के विरुद्ध एक संगठित साजिश है।
इस समय समाज को जरूरत है ऐसे शिक्षकों के साथ खड़े होने की, जो छात्रों को जय श्रीराम या अल्लाह हू अकबर की नारेबाजी नहीं, बल्कि शिक्षा और तर्क सिखाते हैं। रजनीश गंगवार जैसे शिक्षक को अपराधी बताने से पहले सोचिए कहीं ऐसा तो नहीं कि हमने खुद ही अपने भविष्य के दीपकों को बुझाना शुरू कर दिया है