मंडियों में मक्का की कीमतों में गिरावट, सरकारी खरीद केंद्रों पर सन्नाटा
फर्रूखाबाद: गर्मी में होने वाली मक्का और मूंगफली की फसल आमतौर पर किसानों (farmers) के लिए आलू के बाद बड़ी राहत लेकर आती है, लेकिन इस बार मौसम की मार ने मक्का किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। जनपद में मक्का का रिकॉर्ड उत्पादन तो हुआ, लेकिन समय से पहले और भारी बारिश (heavy rain) ने फसल को बर्बादी के कगार पर ला खड़ा किया।
मक्का में नमी बढ़ने से फंगस लग गया है, जिससे इसकी गुणवत्ता खराब हो गई है। नतीजा यह हुआ कि जहां शुरुआत में किसानों को 2050 रुपये प्रति कुंतल तक का भाव मिल रहा था, अब वही मक्का घरेलू बाजार में 1800 से 2000 रुपये प्रति कुंतल तक बिक रहा है। इससे किसानों के चेहरे मुरझा गए हैं। व्यापारियों का कहना है कि महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु जैसे राज्यों में कंपनियों के पास पहले से ही मांग से ज्यादा मक्का पहुंच चुका है।
अब वे फंगस का हवाला देकर मक्का रिजेक्ट कर रही हैं, जिससे व्यापारी औने-पौने दाम पर माल बेचने को मजबूर हैं। इससे उन्हें करोड़ों रुपये का घाटा उठाना पड़ रहा है। मक्का में फंगस आने से सरकारी खरीद केंद्रों पर मानक के अनुरूप अनाज नहीं मिल पा रहा है, जिससे खरीद बंद पड़ी है और केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। पेमेंट में देरी और खरीद प्रक्रिया में उदासीनता ने किसानों की परेशानी और बढ़ा दी है।
पिछले वर्ष मक्का की ऊंची कीमतों को देखते हुए किसानों ने इस बार बड़े पैमाने पर मक्का की बुवाई की थी, लेकिन उत्पादन बढ़ने और बाजार में मांग कम होने से अब उन्हें घाटा हो रहा है। वहीं मूंगफली की खेती का रकबा इस बार घट गया है, जिससे मूंगफली का उत्पादन कम होने की आशंका है। हालांकि, किसानों को थोड़ी राहत उस समय मिली जब रेलवे की रैक से मक्का की बाहरी मंडियों में लोडिंग की प्रक्रिया शुरू हुई। इससे किसानों को उम्मीद है कि माल बाहर जाने से कीमतों में थोड़ा सुधार हो सकता है। लेकिन जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में मक्का के भाव में बहुत अधिक बढ़ोतरी की संभावना नहीं है।