लखनऊ/बलरामपुर। उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण सिंडिकेट का एक बड़ा नेटवर्क बेनकाब हुआ है। ATS और लोकल पुलिस की संयुक्त जांच में सामने आया है कि बलरामपुर का रहने वाला छांगुर, जो खुद को “पीर बाबा” बताता था, पिछले चार वर्षों से अपने परिवार समेत 40 लोगों के साथ मिलकर धर्मांतरण की गतिविधियों में लिप्त था।
उत्तर प्रदेश ATS पिछले दो वर्षों से छांगुर की तलाश कर रही थी। पिछले वर्ष बलरामपुर के मधुबन थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था, जिसमें छांगुर के साथ-साथ नसरीन, महबूब और पीर साहब को भी नामजद किया गया था।
जांच में सामने आया है कि यह गिरोह विदेशी फंडिंग के जरिए लक्ज़री लाइफ जी रहा था। छांगुर एक आलीशान कोठी में ट्रेनिंग कैंप चलाता था, जहां धर्मांतरण की गतिविधियों को अंजाम दिया जाता था।
छांगुर खुद को सूफी, पीर बाबा और जलालुद्दीन बताकर लोगों को गुमराह करता था। वह हर साल उर्स का आयोजन करता था जिसमें विदेश से भी लोग शामिल होते थे। इस दौरान कई लोगों को इस्लाम धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया गया।
ATS को छांगुर के 7 अलग-अलग बैंक खातों की जानकारी मिली है जिनमें विदेश से करोड़ों रुपये का लेनदेन हुआ है। यह रकम कथित तौर पर धर्मांतरण और नेटवर्क विस्तार में खर्च की जाती थी।
छांगुर पिछले 4 सालों से माधोपुर में चांद औरैया दरगाह के पास छिपकर रह रहा था। उसने खुद को धार्मिक नेता का चोला पहनाकर बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित किया।
ATS अब इस पूरे नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर रही है। जिन खातों से लेनदेन हुआ, उनकी भी वित्तीय जांच एजेंसियों को जानकारी दी जा रही है।
यह मामला न केवल एक व्यक्ति की धोखाधड़ी का है, बल्कि एक पूरे विदेशी फंडेड नेटवर्क के जरिए चलाए जा रहे सुनियोजित धर्मांतरण अभियान का पर्दाफाश है।