28.9 C
Lucknow
Saturday, July 12, 2025

देसी नस्लों के संरक्षण से बनेगा आत्मनिर्भर भारत का मार्ग

Must read

शरद कटियार

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ‘भारत में पशु नस्लों का विकास’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। यह केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि एक दूरगामी दृष्टि का प्रतीक है — जो न केवल कृषि और ग्रामीण भारत की मजबूती की बात करता है, बल्कि उस आत्मनिर्भरता की ओर संकेत करता है, जिसकी नींव हमारी पारंपरिक देसी पशु नस्लों में निहित है।

भारत सदियों से पशुधन की एक समृद्ध परंपरा का वाहक रहा है। हमारी देसी नस्लें — जैसे गिर, साहिवाल और थारपारकर — केवल दुग्ध उत्पादन के स्रोत नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक, आर्थिक और जैविक विविधता की धरोहर भी हैं। ये नस्लें न केवल हमारे पर्यावरण और जलवायु के अनुरूप हैं, बल्कि रोगों के प्रति इनकी प्रतिरोधक क्षमता और दीर्घकालिक उत्पादकता इन्हें वैश्विक स्तर पर अद्वितीय बनाती है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर एक बेहद महत्वपूर्ण बात कही — कि पशुपालन को अब परंपरा से उठाकर विज्ञान और उद्यमिता की दृष्टि से देखने की जरूरत है। यह सोच दर्शाती है कि उत्तर प्रदेश सरकार अब ग्रामीण विकास को केवल एक सहायता-आधारित नीति नहीं, बल्कि उत्पादन और नवाचार की धारा से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।

कृत्रिम गर्भाधान, टीकाकरण, नस्ल सुधार और प्रशिक्षण जैसे कार्यक्रमों का विस्तार सरकार की उस नीतिगत दूरदर्शिता को दर्शाता है, जो केवल पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने तक सीमित नहीं, बल्कि भारत को वैश्विक जैविक डेयरी उत्पाद बाजार में पहचान दिलाने के लक्ष्य से जुड़ी है।

इस कार्यशाला में शामिल विशेषज्ञों ने भी इस तथ्य को रेखांकित किया कि आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी और जीनोमिक तकनीकों के जरिए देशी नस्लों की प्रजनन क्षमता और उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि की जा सकती है। यह तकनीकें केवल वैज्ञानिक प्रगति की मिसाल नहीं, बल्कि ग्रामीण युवाओं के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोल सकती हैं।

पशुपालन को ग्रामीण भारत के लिए ‘सहायक’ नहीं, ‘सशक्तिकारी’ उद्योग के रूप में देखने का यह उपक्रम निश्चित रूप से आने वाले समय में मील का पत्थर साबित होगा। सरकार, वैज्ञानिक समुदाय और पशुपालकों की त्रिस्तरीय सहभागिता से यह संभव है कि भारत एक बार फिर अपने समृद्ध पशुधन संसाधनों के बल पर दुग्ध उत्पादन, जैविक उत्पाद और ग्रामीण रोजगार के क्षेत्र में वैश्विक अगुआ बने।

युवाओं से मुख्यमंत्री का यह आह्वान — कि वे पशुपालन को आधुनिक दृष्टिकोण से अपनाएं — वास्तव में समय की मांग है। आज आवश्यकता है कि हम परंपरा और प्रौद्योगिकी के संगम से एक ऐसे ग्रामीण भारत की परिकल्पना करें, जहां आत्मनिर्भरता केवल सपना नहीं, सच्चाई बन जाए।

शरद कटियार
                            शरद कटियार

Must read

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article