– मरम्मत के 15 दिन बाद फिर दरकी जर्जरता, क्या इंतज़ार है किसी बड़ी त्रासदी का?
प्रशांत कटियार
फर्रुखाबाद। ग्वालियर से लिपुलेख चीन बॉर्डर को जोड़ने वाला फर्रुखाबाद का गंगा नदी पर स्थित पांचाल घाट पुल इन दिनों जर्जर हालत में है। पुल पर बने खुले ज्वाइंटों और गहरे गड्ढों ने इसे मौत का फंदा बना दिया है। हर रोज़ इस पुल से सैकड़ों वाहन और राहगीर जान जोखिम में डालकर गुजरते हैं, लेकिन जिम्मेदार विभागों—NHAI और जिला प्रशासन—की चुप्पी किसी बड़े हादसे को खुला न्योता दे रही है।
मार्च 2025 में पुल की मरम्मत करवाई गई थी, लेकिन महज़ 15 दिन बाद ही फिर से जगह-जगह गड्ढे और दरारें उभर आईं। पुल के ज्वाइंटों में इतनी बड़ी दरारें हैं कि उसमें से नीचे बहती गंगा नदी तक दिखाई देने लगती है। बारिश के मौसम में हालात और खतरनाक हो जाते हैं, जब ये गड्ढे पानी से भरकर और अधिक जानलेवा हो जाते हैं।
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने NHAI की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। लोगों का कहना है कि गुजरात के मोरबी पुल हादसे से भी कोई सबक नहीं लिया गया, और यहां भी प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना के बाद ही जागेगा।बाइक सवार और पैदल राहगीर फिसलकर गिरने से घायल हो रहे हैं।
भारी वाहन जब गड्ढों से गुजरते हैं, तो पूरा पुल थर्रा उठता है।
लगातार कंपन और भार से पुल की संरचना पर खतरा मंडरा रहा है।
जब इस मामले पर जिला प्रशासन और NHAI अधिकारियों से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो किसी ने भी स्पष्ट जवाब देने से परहेज किया। स्थानीय प्रशासन ने जांच की बात कही है, लेकिन मौके पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही।
जनता का सवाल:
क्या फिर किसी बड़ी जानलेवा दुर्घटना के बाद ही उठेंगे जिम्मेदार?
मरम्मत के नाम पर करोड़ों खर्च करने के बावजूद क्या यह लापरवाही माफ की जा सकती है?
क्या गंगा नदी पर बना यह सुरक्षा का प्रतीक अब मौत का दरवाज़ा बनता जा रहा है?
जिम्मेदार नागरिकों ने प्रशासन से इस मुद्दे पर जल्द कार्रवाई करने की मांग की है। स्थानीय लोगों की एक मांग है कि जब तक पुल की संपूर्ण मरम्मत नहीं होती, तब तक भारी वाहनों का आवागमन रोका जाए और वैकल्पिक मार्ग सुनिश्चित किए जाएं।
अगर आप इस पुल से यात्रा कर रहे हैं, तो सावधानी बरतें — यह रास्ता अब सुरक्षित नहीं रह गया है।