प्रशांत कटियार
उत्तर प्रदेश की राजनीति में 2027 को लेकर असली शतरंज की बिसात बिछ चुकी है। सत्ता की हैट्रिक लगाने को आतुर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) एक बार फिर 2017 जैसी ऐतिहासिक जीत को दोहराने की तैयारी में जुट गई है। वहीं समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव भी 2024 के लोकसभा चुनाव परिणामों से मिली ऊर्जा के साथ पूरी ताकत झोंकने की रणनीति में जुटे हैं।
बीजेपी के अंदर 2027 की तैयारियों को लेकर मंथन तेज हो गया है। खासकर उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से हुई मुलाकातों ने राजनीतिक हलचल को और बढ़ा दिया है। सूत्रों के मुताबिक, इन मुलाकातों के बाद पार्टी की रणनीति को लेकर संकेत मिल रहे हैं कि केशव मौर्य को चुनावी रणभूमि में बड़ी भूमिका सौंपी जा सकती है।
हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर मौर्य द्वारा किए गए पोस्ट और 2017 की पुनरावृत्ति की बातों के साथ राजनाथ सिंह से प्रेरणा लेने का उल्लेख साफ करता है कि पार्टी में बड़े स्तर पर रणनीतिक तैयारी चल रही है।
बीजेपी उत्तर प्रदेश अब संगठन और चुनावी रणनीति दोनों ही स्तरों पर बेहद सक्रिय हो गई है। पार्टी का फोकस पिछड़ा, दलित, पीड़ित और अल्पसंख्यक वर्गों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने पर है, ताकि विपक्ष के जातीय समीकरणों को चुनौती दी जा सके।
विपक्ष, विशेषकर समाजवादी पार्टी भी इस बार पूरी तरह से तैयार नजर आ रही है। अखिलेश यादव ने समय से पहले प्रत्याशी तय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है ताकि प्रत्याशी को जनता के बीच पूरी तरह से स्थापित किया जा सके। पार्टी का फोकस दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक कार्ड के साथ सामाजिक समीकरणों पर है, जिससे बीजेपी को कड़ी टक्कर दी जा सके।
2027 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव एक दिलचस्प और बेहद कड़ा मुकाबला साबित होने जा रहा है। एक ओर बीजेपी सत्ता की हैट्रिक को लक्ष्य बना रही है तो दूसरी ओर समाजवादी पार्टी अपने मजबूत सामाजिक आधार और नए रणनीतिक समीकरणों के साथ वापसी की तैयारी में है। दोनों ही दलों की सक्रियता और नेतृत्व स्तर पर तेज होती गतिविधियां साफ संकेत दे रही हैं कि यह चुनाव सिर्फ सत्ता का नहीं, बल्कि जनाधार और रणनीति की असली परीक्षा होगा।
(दैनिक यूथ इंडिया के वरिष्ठ उप संपादक)