– 2026 की तैयारी में जुटा उत्तर प्रदेश, लोकतंत्र को मिलेगी नई मजबूती
शरद कटियार
उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2026 की तैयारी का बिगुल बज चुका है। राज्य निर्वाचन आयोग ने 18 जुलाई 2025 से चुनावी प्रक्रिया की शुरुआत का ऐलान करते हुए मतदाता सूची अद्यतन का कार्य तेज कर दिया है। इस बार प्रशासन की सक्रियता, तकनीकी संसाधनों का समावेश और पारदर्शिता के प्रति गंभीरता यह संकेत देती है कि लोकतंत्र के इस बुनियादी पर्व को और अधिक मजबूत और विश्वसनीय बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग के OSD, आईएएस डॉ. अखिलेश मिश्रा द्वारा सभी जिलाधिकारियों को भेजे गए निर्देश पत्र में स्पष्ट कर दिया गया है कि मतदाता सूची के अद्यतन में किसी भी तरह की लापरवाही बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। वहीं दूसरी ओर, अधिकारियों के तबादलों पर रोक लगाकर यह सुनिश्चित किया गया है कि चुनावी तैयारी में प्रशासनिक स्थायित्व बना रहे, जिससे जिला स्तर पर समन्वय में कोई बाधा न आए।
यह बात विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि इस बार चुनावी प्रक्रिया को तकनीकी रूप से भी अधिक सक्षम बनाने का प्रयास किया जा रहा है। BLO ऐप, मतदाता सेवा पोर्टल, और डिजिटल टूल्स के प्रभावी उपयोग पर जोर दिया जा रहा है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचने वाली सूचनाएं अधिक सटीक, त्वरित और विश्वसनीय बन सकें।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिनवा का यह भरोसा कि इस बार त्रुटिरहित और पारदर्शी मतदाता सूची तैयार की जाएगी, जनविश्वास को मजबूत करता है। आयोग की यह मंशा स्वागतयोग्य है कि हर पात्र मतदाता की पहचान हो, और कोई भी व्यक्ति वंचित न रह जाए।
राज्य सरकार द्वारा नगर निकायों के पुनर्गठन पर दो वर्ष तक रोक लगाने का निर्णय भी प्रशासनिक दृष्टिकोण से संतुलित है। यह कदम पंचायत चुनाव की प्रक्रिया में किसी तरह की अव्यवस्था या भ्रम को रोकने के लिए जरूरी था।
यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि लोकतंत्र की सबसे पहली कड़ी—पंचायत—ही वह ज़मीन है जहां से जनप्रतिनिधि उभरते हैं, और यह चुनाव सिर्फ जनभागीदारी का नहीं, बल्कि जवाबदेही और विकास का भी अवसर होता है।
2026 में संभावित यह चुनाव राज्य के लाखों मतदाताओं के लिए न सिर्फ मतदान का अवसर होगा, बल्कि जनसुनवाई, विकास, और नेतृत्व परिवर्तन का माध्यम भी बनेगा।
इस बार चुनावी प्रक्रिया में जिस तरह की संवेदनशीलता, तैयारी और तकनीकी सहभागिता दिखाई जा रही है, उससे यह उम्मीद की जा सकती है कि उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र की नींव और भी मजबूत होगी।
संक्षेप में, पंचायत चुनाव 2026 केवल एक चुनाव नहीं, बल्कि ग्रामीण लोकतंत्र को पारदर्शिता, जवाबदेही और नवाचार से जोड़ने की दिशा में एक निर्णायक प्रयास है। यह राज्य निर्वाचन आयोग और प्रशासनिक तंत्र की प्रतिबद्धता का प्रमाण है कि लोकतंत्र की जड़ें अब और गहरी होंगी।