नई दिल्ली: संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने दिवंगत आरएसएस नेता (RSS leader) मोरोपंत पिंगले के साथ एक प्रसंग को याद करते हुए कहा, एक बार हमने उनसे कहा अब बस, आराम करो। तब भी उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि मैंने बहुत काम किया है। अगर कोई उनके काम की तारीफ करता तो वे मजाक में हंसते-हंसते टाल देते। सर संघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा है कि 75 साल की उम्र पूरी होने के बाद लोगों को दूसरों को भी काम करने का मौका देना चाहिए।
नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान संघ प्रमुख ने कहा कि 75 साल पूरा होने पर किसी भी नेता को जब शॉल ओढ़ाई जाती है तो इसका एक मतलब है। ये मतलब यह है कि उनकी उम्र हो चुकी है. आप को बाकियों को मौका देना चाहिए। आरएसएस प्रमुख राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रेरक दिवंगत मोरोपंत पिंगले पर लिखी पुस्तक के विमोचन के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे। इस पुस्तक का नाम मोरोपंत पिंगले द आर्किटेक्ट ऑफ हिंदू रिसर्जेंस है।
पुसतक का विमोचन करने के बाद भागवत ने वरिष्ठ आरएसएस नेता की विनम्रता, दूरदर्शिता और जटिल विचारों को सरल भाषा में समझाने की अद्वितीय क्षमता को याद करते हुए कहा, मोरोपंत पूर्ण निस्वार्थता की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने अनेक कार्य किए और यह सोचकर किए कि यह कार्य राष्ट्र निर्माण में सहायक होगा। भागवत ने आगे कहा कि मोरोपंत पिंगले ने बहुत काम किया।
उनकी उम्र हो गई थी, शरीर भी थोड़ा दुर्बल हुआ था, हमने उनसे कहा अब सब काम दूसरों को सौंप दो। अगर कोई उनके काम की तारीफ करता तो वे मजाक में हंसते-हंसते टाल देते। पिंगले आखिरी दिनों में नागपुर आकर यहीं रहने लगे, उनका चिंतन हमेशा चलता रहता था, हर विषय की उन्हें गहराई से जानकारी थी। उनकी उम्र के 75 साल पूरे हुए, हम सब वृंदावन में बैठक में थे. देशभर के कार्यकर्ता मौजूद थे।
एक सत्र में शेषाद्री ने कहा, आज हमारे मोरोपंत जी के 75 वर्ष पूरे हुए हैं, और उन्हें शॉल पहनाई गई। उसके बाद उनसे कहा गया कि कुछ बोलिए तो उन्होंने कहा था कि मेरी मुश्किल ये है कि मैं खड़ा होता हूं तो लोग हंसते हैं। मैं कुछ नहीं बोलता तो भी लोग मेरे बोलने पर हंसते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि लोग मुझे गंभीरता से नहीं लेते। मैं जब मर जाऊंगा, तब पहले लोग पत्थर मार के देखेंगे कि सच में मरा हूं या नहीं।” फिर मोरोपंत पिंगले जी ने कहा कि, 75 वर्ष की उम्र में शॉल पहनने का अर्थ मैं जानता हूं। इसका मतलब है कि अब आपकी उम्र हो गई है, आप साइड में हो जाओ। अब और बाकी लोगों को काम करने दो। गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी की जन्मतिथि 17 सितंबर 1950 है. वे इस वर्ष 75 वर्ष के हो जाएंगे।
राजनीतिक हलकों में हलचल :
हालांकि भागवत ने अपने बयान में किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन विपक्ष ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए परोक्ष संदेश करार दिया, जो इस साल 17 सितंबर 2025 को 75 वर्ष के हो जाएंगे।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने तंज कसते हुए कहा :
श्प्रधानमंत्री को लौटते ही सरसंघचालक ने याद दिला दिया कि वे 75 साल के हो जाएंगे। लेकिन मोदी भी कह सकते हैं कि भागवत खुद भी तो 11 सितंबर को 75 के हो रहे हैं! एक तीरए दो निशाने।
संजय राउत (शिवसेना) ने कहा :
श्मोदी ने आडवाणी, मुरली मनोहर और जसवंत सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं को उम्र के आधार पर रिटायर किया। अब देखना है क्या वही नियम खुद पर भी लागू करेंगे ?
संघ की सफाई :
संघ के सूत्रों ने मीडिया को बताया कि भागवत का बयान ष्सामान्य नैतिक सिद्धांत पर आधारित था, और उसका इरादा किसी व्यक्ति विशेष पर टिप्पणी करना नहीं था। उन्होंने कहा कि यह संघ के पूर्वजों की परंपरा और व्यवहार को रेखांकित करने के लिए कहा गया था।
75 वर्ष की उम्र में शॉल पहनने का अर्थ मैं जानता हूं। इसका मतलब है कि अब आपकी उम्र हो गई है, आप साइड में हो जाओ। अब और बाकी लोगों को काम करने दो ….. मोरोपंत पिंगले, आरएसएस नेता ।