हर बूंद में गूंजता है‘ॐ नमः शिवाय’का संदेश
– श्रद्धा का सावन, शिव में लय होती साधना।
– हरियाली में छिपा है हर-हर का आह्वान।
– कांवड़ की पदचापों में बसता है भारत का आध्यात्म।
– सावन केवल मास नहीं, एक आध्यात्मिक अनुभूति है।
– जब प्रकृति और प्रार्थना एक साथ बरसते हैं।
– सावन में शिव आराधना नहीं, आत्म शुद्धि का पर्व है।
– आस्था की धार से निर्मल होता है जीवन।
लखनऊ (राजधानी) : सावन मास (month of savan) भारतीय सनातन परंपरा में केवल एक मौसम या कैलेंडर का हिस्सा नहीं, बल्कि एक जीवंत अनुभूति है — जब भक्तिभाव, प्रकृति, आस्था और आध्यात्म अपने चरम पर होते हैं। यह मास शिव आराधना (Shiva worship), वर्षा की रिमझिम फुहारों और हरियाली (Greenery) के साथ मानव मन में गहराई तक उतरता है। सावन का हर दिन जैसे किसी दिव्यता की अनुभूति कराता है।
भगवान शिव का यह प्रिय मास हमें संयम, शुद्धता और आत्मिक जागृति की ओर उन्मुख करता है। शिवालयों में गूंजते “ॐ नमः शिवाय” के मंत्र, कांवड़ यात्रा की आस्था-भरी पगध्वनि, और जलाभिषेक की परंपरा — यह सब मिलकर सावन को एक आध्यात्मिक महोत्सव में परिवर्तित कर देते हैं। यह समय है जब समाज के सभी वर्ग, विशेषकर युवा, आस्था के रंग में रंगे दिखाई देते हैं। संयमित जीवनशैली, व्रत, पूजा और शिवभक्ति के माध्यम से आत्मनियंत्रण और शांति का संदेश फैलाया जाता है। यह महीना पर्यावरण और मनुष्य के रिश्ते को भी उजागर करता है — पेड़, पौधे, जल और वायु, सब कुछ जैसे सजीव हो उठते हैं।
सावन का एक और पहलू सामाजिक समरसता है। कांवड़ यात्रा जैसे आयोजन एकता, सहयोग और अनुशासन का प्रतीक बन चुके हैं। जब देशभर के कोने-कोने से लोग हजारों किलोमीटर पैदल चलकर जल लाने निकलते हैं, तो यह केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि देश की आत्मा की यात्रा बन जाती है। इस सावन, जब हम भगवान शिव के चरणों में नतमस्तक हों, तो एक संकल्प लें — अपने अंदर के ‘अहं’ को छोड़, विनम्रता, सेवा और सद्भावना से जीवन को शिवमय बनाने का।
शिव का ‘त्रिनेत्र’ हमें चेतावनी देता है — विनाश के पहले विवेक जरूरी है। और यही सावन का अंतिम संदेश है — भक्ति में शक्ति है, और साधना से ही सृजन संभव है। ॐ नमः शिवाय। हर हर महादेव।