– दूध उत्पादन, जैविक खाद और गोबर गैस से ग्रामीण अर्थव्यवस्था होगी सशक्त
नई दिल्ली: सरकार द्वारा शुरू की गई एक नवीन पहल से पशुपालन (animal husbandry), दूध उत्पादन, जैविक खाद निर्माण और घरेलू ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में ग्रामीणों (Villagers) को बहुआयामी लाभ मिलने की संभावना है। यह योजना न सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाएगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण (environmental protection) और रोजगार सृजन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह योजना किसानों और पशुपालकों को जैविक खाद के निर्माण, गोबर गैस के उपयोग से घरेलू ऊर्जा प्राप्त करने और दूध उत्पादन के माध्यम से आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगी। इससे ग्रामीणों की आय में बढ़ोतरी के साथ-साथ खेती की लागत में भी कमी आएगी। दूध उत्पादन में वृद्धि से स्थानीय दुग्ध उत्पादकों को लाभ मिलेगा।
जैविक खाद के उपयोग से रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता घटेगी और मिट्टी की सेहत सुधरेगी। गोबर गैस संयंत्रों के माध्यम से घरेलू स्तर पर स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा उपलब्ध होगी। पशुपालन और संबंधित गतिविधियों से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित होंगे। यह संपूर्ण पहल सतत कृषि प्रणाली को मजबूती देगी और पर्यावरणीय संकट को कम करने में मददगार साबित होगी।
इस योजना का उद्देश्य केवल ग्रामीणों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना ही नहीं, बल्कि पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाकर हरित विकास मॉडल को अपनाना भी है। जैविक खाद और गोबर गैस जैसे संसाधनों का उपयोग पारंपरिक खेती को आधुनिक और टिकाऊ बना सकता है।