- फोटो वही, मजदूर नहीं, सितौली में मनरेगा बनी कमीशन खोरी योजना
कमालगंज | महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगार मजदूरों को काम मुहैया कराना है, लेकिन फर्रुखाबाद जनपद के कमालगंज ब्लॉक की ग्राम पंचायत सितौली में इस योजना को मज़ाक बना दिया गया है। बरसात के मौसम में जब खेत कीचड़ से भरे हैं और रास्ते बह गए हैं, तब भी सरकारी कागजों में 64 मजदूर रोजाना कार्यस्थलों पर कार्यरत दिखाए जा रहे हैं मगर जमीनी हकीकत यह है कि गांव में कहीं कोई मनरेगा कार्यस्थल दिखाई ही नहीं देता।
सरकारी रिकॉर्ड की जांच करने पर और भी चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। NMMS ऐप के जरिए दर्ज की गई हाजिरी में बार-बार एक ही फोटो का इस्तेमाल किया गया, जिसमें 10 लड़के नजर आ रहे हैं, जिनमें से कुछ नाबालिग भी हैं। इनकी एक ही फोटो को बार बार सिस्टम में अपलोड कर रोजाना की हाजिरी चढ़ाई जा रही है।
ग्रामीणों का आरोप है कि फोटो में दिख रहे लोग और हाजिरी में दर्शाए गए मजदूर अलग-अलग हैं, यानी यह फर्जीवाड़ा साफ तौर पर डिजिटल माध्यम से किया जा रहा है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि ये फर्जीवाड़ा पंचायत स्तर से लेकर ब्लॉक अधिकारियों तक की मिलीभगत से चल रहा है। आरोप है कि इस भ्रष्टाचार में स्थानीय अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा गौरव सिंह के माध्यम से खंड विकास अधिकारी, जिला समन्वयक ( मनरेगा), और मुख्य विकास अधिकारी तक पैसा पहुँचता है। ग्रामीणों का आरोप है कि पैसा ऊपर तक जाता है, सबका हिस्सा तय है, ऐसे ही हमारा काम चलता है।
यह बयान प्रधान के सहयोगी का है, जो मनरेगा का कार्य देख रहे हैं।अब बड़ा सवाल यह है कि जिला प्रशासन, खंड विकास अधिकारी , और पंचायत निरीक्षण इकाई इस मामले पर कब संज्ञान लेगी? अगर समय रहते इस घोटाले पर लगाम नहीं लगी तो यह सिर्फ सितौली पंचायत तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरा कमालगंज ब्लॉक भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ सकता है।
सरकार की ग्रामीण विकास योजनाएं जब ऐसे फर्जी फोटो और कागज़ी हाजिरी के जाल में उलझ जाएं तो यह न सिर्फ गरीबों के अधिकारों का हनन है, बल्कि सिस्टम की जड़ में बैठा भ्रष्टाचार भी उजागर करता है।
ज़रूरत है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए, दोषियों को निलंबित कर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि मनरेगा जैसी कल्याणकारी योजना पर लोगों का भरोसा बना रहे।