– कोच में सन्नाटा, खर्च में शोर — हर फेरे में लाखों का घाटा।
– मथुरा से शुरू हो वंदे भारत, बृज क्षेत्र को मिले सीधी सुविधा
अनुराग तिवारी (विशेष संवाददाता)
वाराणसी/ लखनऊ : भारतीय रेलवे की सबसे आधुनिक और गर्व की प्रतीक वंदे भारत एक्सप्रेस (गाड़ी संख्या 20176) जो कि वर्तमान में आगरा से वाराणसी के लिए चलाई जा रही है, वह लगातार यात्रियों के अभाव में खाली चल रही है। ट्रेन के हाल ही के फोटोग्राफ में यह साफ देखा गया कि कोच दर कोच खाली सीटें पड़ी थीं और कुछ ही यात्री नजर आ रहे थे। रेलवे के लिए यह स्थिति चिंता का विषय बनती जा रही है। जहां पर खर्च लाखों का, आय हजारों की।
रेलवे विशेषज्ञों के अनुसार वंदे भारत जैसी हाई स्पीड ट्रेन का संचालन सस्ता नहीं होता। एक तरफ की यात्रा (लगभग 800 किमी) में ही रेलवे को औसतन ₹4.5 लाख से ₹6 लाख तक खर्च करना पड़ता है। परंतु जब यात्री बहुत कम होते हैं, तो टिकट बिक्री से होने वाली आय मुश्किल से ₹50,000 से ₹1 लाख तक ही रह जाती है। इससे प्रत्येक फेरे में ₹3–5 लाख का घाटा रेलवे को उठाना पड़ता है।
वंदेभारत मथुरा से चलाने का सुझाव क्यों उचित है? तीर्थ यात्रियों को सीधी सुविधा और रेलवे को हर फेरे में लाखों रुपये का लाभ संभव।
मथुरा देश की प्रमुख तीर्थ नगरी है, जहां प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। यदि वंदे भारत ट्रेन मथुरा जंक्शन से शुरू की जाए, तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान तक के यात्रियों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। तीर्थ यात्रियों, विद्यार्थियों और व्यापारियों के लिए यह तीव्र, सुरक्षित और आरामदायक यात्रा का विकल्प बन सकता है।
लोगों ने मांग की, “वंदे भारत जैसी सुविधा मथुरा जैसे धार्मिक नगर से शुरू होनी चाहिए। यात्रियों को सीधा लाभ मिलेगा और रेलवे को घाटा नहीं सहना पड़ेगा।”
— कौशल तिवारी, निदेशक – गगन डेयरी (बकेवर, इटावा)
कौशल तिवारी, निदेशक – गगन डेयरी (बकेवर, इटावा)
“हम बनारस दर्शन जाते हैं लेकिन सीधी ट्रेन सुविधा नहीं है। मथुरा से वंदे भारत हो तो हजारों को लाभ मिलेगा।”
— स्थानीय श्रद्धालु
“वंदे भारत जैसी ट्रेनें खाली नहीं चलनी चाहिए। देश की सेवा में लगी यह ट्रेन अगर मथुरा जैसे धार्मिक केन्द्र से शुरू हो, तो रेलवे, यात्री और राष्ट्र – तीनों को लाभ मिलेगा।”
– (पवन ठाकुर, अध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन, किसान)
पवन ठाकुर, अध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन, किसान