फर्रुखाबाद: जिले के गांव गांव (village village) में सफाई व्यवस्था (cleaning system) का जो हाल है, वो किसी से छिपा नहीं। लेकिन अब जो तस्वीर सामने आ रही है, वह सिर्फ गंदगी की नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार की सड़ांध से भरी हुई है। सफाईकर्मियों की तैनाती भले ही कागज़ों पर गांव गांव दिख रही हो, लेकिन ज़मीनी हकीकत ये है कि ज़्यादातर सफाईकर्मी या तो ब्लॉक दफ्तरों में बाबूगिरी कर रहे हैं, या फिर अपनी जगह प्राइवेट लोगों को ठेके पर लगाकर मोटी तनख्वाह घर बैठे डकार रहे हैं।
गांवों की गलियों में झाड़ू लगानी हो या नालियों की सफाई, असली सफाईकर्मी तो महीनों से वहां गए ही नहीं। उनकी जगह बेबस और जरूरतमंद युवा 6-7 हजार रुपये में पूरा महीने का काम करते हैं। और मज़े की बात ये है कि असली सफाईकर्मी वहीं से सरकारी वेतन लगभग 45 हजार रूपये से ज्यादा हर महीने उठाते हैं बिना एक दिन हाजिरी दिए,यह फर्जीवाड़ा किसी एक सफाईकर्मी का कारनामा नहीं है।
ब्लॉक स्तर से लेकर पंचायत सचिव और कुछ जिम्मेदार अधिकारी भी इस पूरे खेल में हिस्सेदार हैं। जानकारी के मुताबिक, हर सफाईकर्मी से 2,000 से 3,000 की वसूली महीना दर महीना की जाती है, ताकि उनकी गैरहाजिरी की शिकायत कभी रिकॉर्ड पर न आए। यानी न सिर्फ सफाई का काम प्राइवेट मजदूर कर रहे हैं, बल्कि उसका हिस्सा भी ऊपर तक बांटा जा रहा है।जहां एक ओर शाहजहांपुर के जिलाधिकारी इस तरह की लापरवाही और फर्जी तैनाती पर एफआईआर दर्ज करवा रहे हैं, वहीं फर्रुखाबाद में मानो सबकुछ ‘चुपचाप चलता रहे’ नीति के तहत हो रहा है।
कई सफाईकर्मी तो खुद को इतना ताकतवर समझ बैठे हैं कि वे खुलेआम कहते सुने जा सकते हैं हमसे कोई कुछ नहीं कर सकता।जनपद के सैकड़ों गांवों में नालियां बजबजा रही हैं, कूड़े के ढेर मुंह चिढ़ा रहे हैं और डेंगू मलेरिया जैसी बीमारियों के खतरे सिर पर हैं। बावजूद इसके पंचायत स्तर पर न तो कोई निगरानी है, न ही ज़िम्मेदारी। क्या गांव के गरीबों की सेहत, उनके बच्चों की सुरक्षा और महिलाओं की स्वच्छता सिर्फ भाषणों तक सीमित रह गई है।अब सवाल सिर्फ ये नहीं कि सफाईकर्मी काम कर रहे हैं या नहीं।
सवाल ये है कि हर महीने करोड़ों रुपये की सैलरी आखिर किनकी जेब में जा रही है, और किसके संरक्षण में ये फर्जीवाड़ा सालों से चलता आ रहा है? यूथ इंडिया की खुली मांग है कि सभी तैनात सफाईकर्मियों की स्थलीय जांच कराई जाए,उनके द्वारा लगाए गए प्राइवेट कर्मचारियों की जानकारी सार्वजनिक की जाए,वसूली करने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही की जाए,और पूरे घोटाले की जांच कर रिपोर्ट जनता के सामने पेश की जाए। क्योंकि अगर सरकारी सिस्टम ही गंदगी का हिस्सा बन जाए, तो सफाई सिर्फ झाड़ू से नहीं, जाँच और जेल से करनी पड़ेगी।