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Saturday, August 23, 2025

कानपुर गंगा बैराज पर मछली माफिया का कब्ज़ा, प्रशासन मौन

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– अवैध शिकार से गंगा का इकोसिस्टम खतरे में, पुलिस और सिंचाई विभाग बने मूकदर्शक

कानपुर। गंगा बैराज पर इन दिनों मछली माफिया खुलेआम अपनी जान से खिलवाड़ करते हुए गंगा की कोख को नोच रहे हैं, और इस पूरे मामले में पुलिस और सिंचाई विभाग की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। अटल घाट पर खड़ा सरकारी स्टीमर प्रशासन और जिम्मेदार अफसरों की निष्क्रियता का मखौल उड़ाता नजर आ रहा है।

गंगा नदी में मत्स्य विभाग द्वारा नैनी और कतला जैसी मछलियों को छोड़ा जाता है, ताकि नदी की स्वच्छता और जैव विविधता को बढ़ावा दिया जा सके। लेकिन दुखद बात यह है कि इन्हीं मछलियों को अब अवैध मछुआरे बेरहमी से शिकार बना रहे हैं। गंगा बैराज से प्रतिदिन कई कुंतल मछलियों का अवैध शिकार किया जा रहा है, जिससे लाखों रुपये का गोरखधंधा बेरोकटोक फल-फूल रहा है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सिंचाई विभाग के दर्जनों सिक्योरिटी गार्ड मौके पर मौजूद होते हुए भी मछुआरों को गंगा में जाने की खुली छूट दे रहे हैं। ये सुरक्षाकर्मी मूकदर्शक बने हुए हैं, मानो उन्हें हादसे का इंतजार हो। सवाल ये उठता है कि यदि किसी दिन कोई बड़ा हादसा हो जाए, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?

स्थानीय लोगों का कहना है कि कानपुर कमिश्नरेट पुलिस बार-बार इस अवैध शिकार की जानकारी देने के बावजूद अब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाई है। ऐसा लगता है जैसे पुलिस प्रशासन ने आंखों में पट्टी और कानों में तेल डाल लिया हो।

अब देखना ये होगा कि प्रशासन और पुलिस इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कब कार्रवाई करती है, या फिर मछली माफियाओं की मनमानी यूं ही जारी रहेगी और गंगा की जैव विविधता पर संकट और गहराता जाएगा।

जनता की मांग है कि गंगा बैराज क्षेत्र में नियमित निगरानी की व्यवस्था हो। मत्स्य विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम द्वारा कार्रवाई हो। दोषी सुरक्षाकर्मियों पर हो विभागीय जांच।अवैध शिकार में लिप्त लोगों पर कठोर कानूनी कार्रवाई हो।

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