– पांचाल घाट पर आस्था का मजाक, भगवा माहौल में भ्रष्टाचार का तांडव!
फर्रुखाबाद | यूथ इंडिया: पांचाल घाट पर हर वर्ष लगने वाला श्रीराम नगरिया मेला, जिसे लोग मिनी कुंभ और माघ मेला के नाम से भी जानते हैं, अब एक बड़े घोटाले की गिरफ्त में है। भगवा रंग से सजे, संतों की उपस्थिति से पवित्र और लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक यह मेला, वर्षों से भ्रष्टाचारियों का चारागाह बना हुआ है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस भव्य आयोजन के नाम पर हर वर्ष लाखों रुपये का बजट स्वीकृत होता है। अस्थाई टेंट नगरी, लाइटिंग, सांस्कृतिक मंच, स्वच्छता, पेयजल व्यवस्था और सुरक्षा के नाम पर बड़ी धनराशि खर्च दिखाई जाती है। लेकिन ज़मीनी हकीकत चौंकाने वाली है — कई कार्य होते ही नहीं और फर्जी बिलों के ज़रिए राशि निकाल ली जाती है।
जैसे ही शिकायतें जिले के प्रभारी मंत्री और प्रदेश के पर्यटन मंत्री तक पहुंचीं, पूरे प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया। जिलाधिकारी आशुतोष कुमार द्विवेदी ने जब इन शिकायतों पर गंभीरता से जांच शुरू की, तो सामने आया कि घोटाला एक-दो साल का नहीं, बल्कि यह हर वर्ष दोहराया जाने वाला सुनियोजित भ्रष्टाचार है।
मेला क्षेत्र में आने वाले दुर्धरा आश्रम के संतों से लेकर आम कल्पवासी तक यह मानते हैं कि व्यवस्था हर साल बद से बदतर होती जा रही है। सांस्कृतिक कार्यक्रम कागजों में, मंच और टेंट अधूरे, बिजली गायब — फिर भी बजट पूरा!
स्थानीय लोगों का कहना है कि —
“यह मेला अब श्रद्धा नहीं, साजिश का मैदान बन गया है। कुछ लोग हर साल मलाई काटते हैं, और फिर चुपचाप निकल जाते हैं।”
जांच में यह सामने आया है कि एक ही काम के दो-दो बार भुगतान दिखाए गए, सफाई के नाम पर बिना काम के हजारों रुपये निकाल लिए गए, और मंच निर्माण जैसी व्यवस्थाएं सिर्फ कागजों में पूरी हुईं। यही कारण है कि जब से शिकायतों की गूंज लखनऊ तक पहुंची है, कई पूर्व अधिकारी व ठेकेदार भूमिगत हो चुके हैं।
पर्यटन और जिले के प्रभारी मंत्री ने संकेत दिए हैं कि मामले में दोषियों पर जल्द कठोर कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी भी अब व्यक्तिगत रूप से फाइल दर फाइल खंगाल रहे हैं। आने वाले दिनों में एफआईआर और पूछताछ का सिलसिला तेज हो सकता है। क्या पांचाल घाट की पवित्र परंपरा को बचाया जा सकेगा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने से? क्या जिम्मेदारों को मिलेगी सजा या एक और घोटाला दबा दिया जाएगा?