फर्रुखाबाद: मोहर्रम (Moharram) की 8 तारीख को शहर में विभिन्न स्थानों से पारंपरिक अलम जुलूस (alam juloos) निकाले गए। इन जुलूसों में इमाम हुसैन (Imam Hussain) की शहादत और उनके बलिदान को याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। बड़ा बंगशपुरा से निकले 22 अलमों के जुलूस का नेतृत्व अरबाज शेरखान पुत्र मुन्ना शेरखान ने किया।
यह परंपरा पिछले लगभग 90 वर्षों से जारी है। यह अलम जुलूस शहर के प्रमुख मोहल्लों जैसे – छोटे बंगशपुरा, नखास, मनिहारी, छावनी, खटकपुरा सिद्दीकी, खटकपुरा इज्जत खां, तलैया फजल इमाम, मदरबाड़ी, गढ़ीकोना, घेरशामूखा, भाऊटोला बजरिया, कटरा बक्शी, शमशेर खानी, भीकमपुरा, बीबीगंज, बहादुरगंज तराई, सूफी खां, मस्जिद तल्ला, गढ़ी अब्दुल मजीद खां आदि से होकर गुजरे।
बीबीगंज चौकी से निकला 42 फीट ऊंचा अलम विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। हालांकि, प्रशासनिक आदेश के पालन में अलम कमेटी ने 10 फीट का अलम निकालने का निर्णय लिया। दिलदार हुसैन ने बताया कि प्रशासन के निर्देश का पालन करते हुए अलम की ऊंचाई सीमित की गई है। इसके बावजूद अलम देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु सड़कों पर उमड़े और “या हुसैन” की सदाएं बुलंद कीं।
इसरार खान और कमलबाबू के नेतृत्व में बीबीगंज चौकी से निकला प्रमुख अलम जुलूस रकाबगंज तिराहा तक गया और देर रात निर्धारित स्थान पर संपन्न हुआ। जुलूस में शामिल रहकर हजारों अकीदतमंदों ने हुसैन की कुर्बानी को याद किया और प्रेरणा ली कि सच और इंसानियत की राह पर चलने के लिए संघर्ष ही इमाम हुसैन की असली विरासत है।