- 5000 से अधिक विद्यालयों को बंद करने की तैयारी, गरीब और ग्रामीण बच्चों का भविष्य संकट में
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्यभर में 5000 से अधिक विद्यालयों को बंद करने की प्रस्तावित योजना पर लोकदल ने कड़ा विरोध जताया है। पार्टी अध्यक्ष सुनील सिंह ने इस फैसले को “शिक्षा विरोधी मानसिकता” का प्रतीक बताया और कहा कि यह कदम संविधान में उल्लेखित मौलिक अधिकार—शिक्षा—का स्पष्ट उल्लंघन है।
सुनील सिंह ने कहा कि यह निर्णय खासकर गरीब, ग्रामीण और पिछड़े वर्ग के बच्चों को शिक्षा से दूर कर देगा। उन्होंने सवाल उठाया कि जब शिक्षा को सभी के लिए अनिवार्य और सुलभ बनाने की जिम्मेदारी सरकार की है, तो फिर बजट के नाम पर स्कूलों को बंद करना किस सोच का हिस्सा है?
लोकदल अध्यक्ष ने चेतावनी दी कि इस योजना से न केवल बच्चों का भविष्य अंधकारमय होगा, बल्कि हजारों शिक्षकों की नौकरी पर भी संकट गहरा जाएगा। उन्होंने कहा, “यह सरकार शिक्षा, शिक्षक और छात्रों की परवाह नहीं करती, बल्कि निजीकरण और बजट कटौती को प्राथमिकता देती है।”
लोकदल की तीन प्रमुख मांगें: सरकार तत्काल 5000 विद्यालयों को बंद करने की योजना को वापस ले। सभी स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं — शिक्षक, शौचालय, पुस्तकालय, और स्मार्ट क्लास — सुनिश्चित की जाएं।शिक्षा के क्षेत्र में निजीकरण को बढ़ावा देने की बजाय सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली को मजबूत किया जाए।
सुनील सिंह ने कहा कि लोकदल इस मसले को सड़क से लेकर विधानसभा तक उठाएगा और संघर्ष करेगा। उन्होंने कहा, “हम उत्तर प्रदेश के बच्चों के भविष्य को अंधकार में नहीं जाने देंगे। ‘शिक्षा का हक़, हर बच्चे को हक़’ – यह हमारा वादा है।”