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Monday, August 18, 2025

औरैया परिवहन विभाग में नवागंतुक अधिकारी का बड़ा खेल उजागर

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– बिना टेस्ट ड्राइविंग लाइसेंस, विभाग में दलालों का बोलबाला।
– बिना टेस्ट बन रहे ड्राइविंग लाइसेंस, दलालों का कब्ज़ा, जनता बेहाल।
– दलालों के बिना नहीं होता कोई भी कार्य, काउंटर से काउंटर चक्कर।

(औरैया परिवहन विभाग बना रिश्वतखोरी का अड्डा?)

अनुराग तिवारी (विशेष संवाददाता)

औरैया: जनपद औरैया (Auraiya) के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (Transport Department) (RTO) में नवागंतुक अधिकारी के कार्यभार संभालते ही भारी अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की बू फैलने लगी है। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) में नवागंतुक अधिकारी के पदभार ग्रहण करने के साथ ही भ्रष्टाचार का घिनौना चेहरा उजागर होने लगा है। अब न तो ड्राइविंग टेस्ट की कोई आवश्यकता रही, न ही पारदर्शी प्रक्रिया की कोई अहमियत। यहां हर चीज़ अब दलालों के माध्यम से ही ‘फिक्स रेट’ पर उपलब्ध है — चाहे वह लर्निंग लाइसेंस हो, स्थायी लाइसेंस, गाड़ी की फिटनेस, या परमिट।

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार विभाग में बिना ड्राइविंग टेस्ट लिए ही लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं। जिससे न केवल कानून का उल्लंघन हो रहा है, बल्कि सड़क सुरक्षा भी गम्भीर खतरे में पड़ रही है। परिवहन विभाग में दलालों का पूर्ण कब्जा जमा है , जो आम नागरिक परेशान के लिए परेशानी और आर्थिक बोझ बनकर टूट पड़ता है। RTO परिसर में दलालों की तूती बोल रही है। आम जनता यदि बिना दलाल के कोई कार्य करवाना चाहे तो उन्हें काउंटर से काउंटर चक्कर काटने को मजबूर किया जाता है। लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन, फिटनेस सर्टिफिकेट जैसे कार्यों में बिना ‘खास जुड़ाव’ के फाइल आगे नहीं बढ़ती।

रिश्वतखोरी और प्रशासनिक शिथिलता

ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि नवागंतुक RTO अधिकारी की नाक के नीचे ही ये सब गतिविधियां संचालित हो रही हैं, या यूं कहें कि उनकी ‘मौन स्वीकृति’ से। नागरिकों को ₹1500 से ₹5000 तक की अवैध वसूली का सामना करना पड़ रहा है, जो सीधे-सीधे भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा है। वही अब जन जागरूक जनता की मांग उच्च स्तरीय उठने लगी है। वही अब ऐसे भ्रष्ट कारनामों की उच्चस्तरीय जांच हो, भ्रष्ट अफसरों पर हो कार्रवाई।

स्थानीय नागरिकों एवं सामाजिक संगठनों ने इस मामले में जिलाधिकारी और शासन से मांग की है कि औरैया RTO विभाग की कार्यप्रणाली की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए। दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर तत्काल सख्त कार्यवाही हो।

टेस्ट की औपचारिकता खत्म, सीधे लाइसेंस

खुलासे में यह बात सामने आई है कि कई मामलों में आवेदकों से ड्राइविंग टेस्ट लिए बिना ही लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं। लाइसेंस प्राप्त करने के लिए न तो ड्राइविंग ट्रैक का मुआयना होता है, न किसी अधिकारी की निगरानी। सिर्फ तय दलाल को‘सेवा शुल्क’दें, और लाइसेंस आपके हाथ में — चाहे वाहन चलाना आता हो या नहीं।

दलालों का साम्राज्य, आम जनता का बहिष्कार

RTO परिसर में अब आम नागरिक की कोई हैसियत नहीं रही। यदि कोई व्यक्ति बिना दलाल के सीधा आवेदन लेकर पहुँचता है तो उसे घंटों लाइन में खड़ा रहने, काउंटर से काउंटर दौड़ने, और बार-बार दस्तावेज़ी खामियां बताकर लौटाने का‘दंड’दिया जाता है। उल्टे दलालों को VVIP ट्रीटमेंट मिलता है, जिनके साथ आने वाले फॉर्म को तत्काल प्रोसेस किया जाता है।

रिश्वतखोरी का रेट कार्ड तय

रिश्वत रेट सूची (गोपनीय सूत्रों के हवाले से, यह जांच का विषय है यूथ इण्डिया समाचार संवाददाता दावा नहीं करता, यह संवाददाता की पड़ताल में उजागर हुआ)

लर्निंग लाइसेंस – ₹1000 से ₹2500

स्थायी लाइसेंस – ₹3000 से ₹5000

व्यावसायिक लाइसेंस – ₹5000 से ₹8000

गाड़ी फिटनेस – ₹3000 अतिरिक्त

परमिट नवीनीकरण – ‘पैकेज डील’

यह सब खुलकर RTO कार्यालय परिसर के आसपास चल रहा है, लेकिन कोई जिम्मेदार अधिकारी इस पर संज्ञान लेने को तैयार नहीं।

“नवागंतुक परिवहन अधिकारी की भूमिका पर सवाल?”

जैसे ही नए RTO अधिकारी ने कार्यभार संभाला, कुछ ही दिनों में विभाग में ‘खास एजेंटों’ की घुसपैठ हो गई। स्थानीय लोग आरोप लगा रहे हैं कि या तो अधिकारी की मूक सहमति से यह सब हो रहा है, या फिर इनसे ऊपर तक‘कट मनी जा रही है। सरकारी व्यवस्था में विश्वास रखने वाले नागरिकों के लिए यह स्थिति अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और अपमानजनक है।

जनता का आक्रोश और मांग

स्थानीय सामाजिक संगठनों, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन और नागरिकों ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। ज़िला प्रशासन और परिवहन विभाग के उच्चाधिकारियों को ज्ञापन देने की तैयारी हो रही है। मांग है कि:

1. पूरे विभाग की CBI/ SIT जांच हो।
2. दलालों को बाहर कर, कर्मचारियों की जवाबदेही तय की जाए।
3. ड्राइविंग टेस्ट प्रक्रिया को वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ अनिवार्य किया जाए।
4. जनता के लिए अलग “नो एजेंट ज़ोन” की व्यवस्था हो।

बड़ा सवाल यह है कि जब बिना योग्यता के लोग वाहन चलाने का लाइसेंस पा रहे हैं, तो सड़क पर दुर्घटनाएं, मौतें और अव्यवस्था तय है। यह न केवल प्रशासनिक लापरवाही है, बल्कि समाज के प्रति एक सीधा अपराध है। यदि अब भी शासन-प्रशासन नहीं जागा तो यह अराजकता और गहराएगी।

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