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Sunday, August 24, 2025

तेल माफिया से मंत्री तक: चंदे के खेल में बदनाम हुए अपना दल (एस) जिलाध्यक्ष, जिले की सियासत में चर्चा का विषय

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– मंत्री आशीष पटेल को माफिया के घर ले जाने की साजिश, 75 हजार में तय हुआ था ‘फोटो सेशन’ का सौदा

फर्रुखाबाद। राजनीति में इन दिनों फर्रुखाबाद केंद्र बन गया है। वजह है प्रदेश सरकार के तकनीकी शिक्षा मंत्री आशीष पटेल का भ्रमण कार्यक्रम, जिसमें एक कुख्यात तेल माफिया का नाम शामिल किए जाने से प्रदेशभर में सनसनी फैल गई है।

यह विवाद तब और गहरा गया जब अपना दल (एस) के जिलाध्यक्ष जितेन्द्र उर्फ रिंकू कटियार पर तेल माफिया पवन कटियार से पार्टी फंड और होर्डिंग के नाम पर 75 हजार रुपये की वसूली के आरोप सामने आए।

माफिया के घर कार्यक्रम तय, मंत्री ने किया साफ इनकार

सूत्रों के अनुसार, मंत्री आशीष पटेल के भ्रमण कार्यक्रम में पवन कटियार के आवास पर एक आयोजन तय किया गया था। लेकिन जैसे ही मंत्री को जानकारी मिली कि यह व्यक्ति आपराधिक छवि वाला है और उस पर जालसाजी, जीएसटी चोरी जैसे गंभीर मुकदमे दर्ज हैं, उन्होंने तुरंत कार्यक्रम रद्द कर दिया।

मंत्री ने स्पष्ट किया कि वे किसी दागदार व्यक्ति से न तो मिलेंगे, न उसके घर जाएंगे। इसके बाद मंत्री का कार्यक्रम अचानक बदला गया और उन्हें पवन कटियार के समधी के घर ले जाया गया, जिससे भ्रम पैदा हो सके।

जानकारी के अनुसार, अपना दल (एस) के जिलाध्यक्ष रिंकू कटियार ने मंत्री के साथ पवन कटियार की कई तस्वीरें खिंचवाईं और उन्हें सोशल मीडिया पर शेयर कर यह संदेश देने की कोशिश की कि माफिया अब मंत्री का करीबी है।
इस पूरे घटनाक्रम को एक ‘छवि सुधार अभियान’ के तौर पर अंजाम दिया गया। इसके लिए कथित तौर पर पवन कटियार ने 50,000 रुपये पार्टी फंड के नाम पर और 25,000 रुपये होर्डिंग के नाम पर भुगतान किया।

जैसे ही यह खबर फैली, जिले की राजनीति में भूचाल आ गया। प्रशासनिक अफसर और पार्टी के वरिष्ठ नेता सकते में हैं। आम जनता और विपक्षी दलों ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे मंत्री की छवि को धूमिल करने की साजिश करार दिया है।

अब सवाल यह उठ रहा है कि—

आखिर एक कुख्यात माफिया का नाम मंत्री के कार्यक्रम में कैसे शामिल हुआ?
क्या पार्टी फंड के नाम पर माफियाओं से पैसे वसूलने की परंपरा बन चुकी है?
मंत्री की प्रतिष्ठा का इस्तेमाल कर माफियाओं को ‘क्लीन चिट’ देने की साजिश कौन कर रहा है?

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि इस मामले की समय रहते निष्पक्ष जांच न की गई, तो पार्टी की साख और मंत्री की छवि को अपूरणीय क्षति हो सकती है।

जनता अब जवाब चाहती है। प्रशासन और पार्टी नेतृत्व को इस मामले में तत्काल संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी होगी, वरना यह विवाद और भी गंभीर रूप ले सकता है।

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