– निजी स्कूलों की मनमानी से अभिभावकों में नाराज़गी, बच्चों के भविष्य पर संकट
संभल — जिले में शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम एक बार फिर सवालों के घेरे में है। RTE के तहत निजी स्कूलों में मुफ़्त शिक्षा के लिए आवेदन करने वाले 270 बच्चों को दाखिले से वंचित कर दिया गया, जिससे उनके भविष्य पर गंभीर संकट खड़ा हो गया है। अभिभावकों में इसको लेकर भारी नाराज़गी है, वहीं शिक्षा विभाग पूरी तरह बेबस नजर आ रहा है।
जानकारी के अनुसार, RTE के अंतर्गत दिसंबर 2024 से मार्च 2025 तक ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया चली थी, जिसमें जिले के सैकड़ों अभिभावकों ने अपने बच्चों के दाखिले के लिए आवेदन किया था। लेकिन जब रिजल्ट आया तो कई बच्चों का चयन होने के बावजूद निजी स्कूलों ने ‘सीटें फुल’ बताकर दाखिला देने से मना कर दिया।
आश्चर्य की बात यह है कि शिक्षा विभाग ने इस पर कोई कड़ा कदम नहीं उठाया, बल्कि सिर्फ खानापूर्ति कर पल्ला झाड़ लिया। कई स्कूलों ने अपनी सीटें पहले ही मनमाने तरीके से भर ली थीं, जबकि RTE की गाइडलाइन के अनुसार 25% सीटें आरक्षित रखनी अनिवार्य है।
एक अभिभावक ने रोते हुए बताया — “हमने समय से आवेदन किया, कागज़ पूरे लगाए, मगर जब नाम आया तब स्कूल ने दाखिला देने से मना कर दिया। अब हम क्या करें? गरीब के बच्चे को क्या पढ़ने का हक़ नहीं?”
अब सवाल यह उठता है कि जब कानून के तहत बच्चों को मुफ़्त शिक्षा का हक़ है, तो उसे लागू करवाने की जिम्मेदारी आखिर कौन निभाएगा? शिक्षा अधिकार कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि सभी वंचित बच्चों को तत्काल प्रभाव से उचित स्कूलों में दाखिला दिलाया जाए, और जिन स्कूलों ने नियमों की अवहेलना की है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।