वाराणसी: वाराणसी (Varanasi) में 2 दिसंबर 2024 को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय (Sanskrit University) में आयोजित एक कथा के दौरान देवकीनंदन ठाकुर (devkinandan thakur) ने भारत विभाजन और कश्मीरी ब्राह्मणों के नरसंहार के लिए “जयचंदों” को दोषी ठहराया था। उन्होंने अपने कथावाचन में ये भी कहा था कि जयचंदों के कारण सनातन धर्म को खतरा है और उनके कारण ही पाकिस्तान का निर्माण हुआ।
इसी बयान को लेकर अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने मानहानिकारक बताते हुए आगरा की सिविल जज (जूनियर डिवीजन)-प्रथम की अदालत में उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का परिवाद दायर किया। अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह का कहना है कि जयचंद, जो कन्नौज के राजा थे, को गद्दार कहने का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। उन्होंने दावा किया कि कथावाचक का यह बयान क्षत्रिय समाज के लिए अपमानजनक है और इससे उनकी भावनाओं को ठेस पहुंची है।
इस मामले में देवकी नंदन ठाकुर को पहले भी कोर्ट में पेश होने के लिए कहा गया था, लेकिन उनकी अनुपस्थिति के कारण ACJM-10 की अदालत ने अब नोटिस जारी कर उन्हें 9 जुलाई 2025 को अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया है।यूपी के आगरा जिले में एसीजेएम की कोर्ट ने कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर को नोटिस जारी किया है। वाराणसी की एक कथा से जुड़े मानहानि के मामले में जारी इस नोटिस में उन्हें 9 जुलाई को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया गया है।