- तानाशाही रवैये और उत्पीड़न को लेकर आज भी खड़ी हो जाती है रोंगटे
फर्रुखाबाद। लोकतंत्र सेनानी संगठन के अध्यक्ष चंद्रपाल वर्मा ने 25 जून की पूर्व संध्या पर कहा कि 1975 में लागू किया गया आपातकाल देश की लोकतांत्रिक परंपरा पर गहरी चोट था। यह निर्णय तत्कालीन शासकों द्वारा अपनी कुर्सी बचाने के लिए लिया गया था।
उन्होंने कहा कि 1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त किया गया, जिससे बौखलाकर उन्होंने देश में आपातकाल घोषित कर दिया। इसके तहत विरोध की आवाज उठाने वालों को जेल में ठूंस दिया गया। युवाओं को जबरन नसबंदी का शिकार बनाया गया। लोग बाजारों में निकलने से डरते थे।
मीडिया पर सेंसरशिप लागू कर दी गई और लोकतंत्र को कुचलने का प्रयास किया गया। फर्रुखाबाद में स्व. ब्रह्मदत्त द्विवेदी व स्व. ब्रह्मदत्त अवस्थी जैसे नेताओं ने आंदोलन की कमान संभाली। हजारों लोगों को जेल में बंद किया गया।
चंद्रपाल वर्मा ने लोकतंत्र सेनानियों को स्वतंत्रता सेनानियों जैसी सुविधाएं देने की मांग की और कहा कि देश को लोकतंत्र दिलाने में इन सेनानियों की भूमिका अविस्मरणीय है।